मंगलवार, 28 मई 2013

ज्योतिषाचार्यो अगर आप किसी को बिना मांगे सलाह देते है तो जरूरी नही है कि वह सलाह पर अमल करे

मेरे मित्रो ज्योतिषाचार्यो  किसी ने कहा है कि अगर आप किसी को बिना मांगे सलाह देते है तो जरूरी नही है कि वह सलाह पर अमल करे यह भी हो ता है कि वो बेवकुफ बताये यारो कुछ तो रहम करो जब कोई परेशानी बताये तब उसे उपाय बताओ
आप लाल किताब के आधार पर जन्मपत्रिका व वर्षफल बनवाना चाहते है और लाल किताब के उपायो को करके भाग्य मे बदलाव करना चाहते है तो सम्पर्क करे।
मित्रो अगर आप विस्तार से जन्मपत्रिका के विषय मे बात करना चाहते है तो 2100 सौ रूपये हमारे पंजाब नैशनल बैक के साप्ताहिक शुक्र शनि खाता सख्या 2534002100356911 मे जमा कराये। 
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

सोमवार, 27 मई 2013

गुरू वृष राशि में थे और 31 मई 2013 को वृष राशि राशि से निकलकर बुध की राशि मिथुन में प्रवेश करेगा।


 गुरु के मिथुन राशि में गुरू 19 जून 2014 तक रहेगा।
एक साल तक मिथुन राशि में रहेगें गुरू वृहस्पती कहा गया है कि गुरू जहां बैठते है उस स्थान कि हानि करते है और जहां देखते है वहां लाभ देते है मिथुन राशि के लिये ससमय कष्ट दायक रहेगा।गुरू के इस राशि परिवर्तन से सभी राशि के जातक प्रभावित होंगें। गुरू वृहस्पती कही खुशियों की सौगात लेकर आयें है तो कहीं परेशानियों का अम्बार लगाएगे। 12 राशि में आपकी राशि के लिए गुरू का मिथुन में आना कितना शुभ फलदायी है या नहीं यह जाने
वर्ष 2012 में एक साल से गुरू वृष राशि में थे और 31 मई 2013 को वृष राशि राशि से निकलकर बुध की राशि मिथुन में प्रवेश करेगा। मिथुन राशि शत्रु ग्रह की राशि है इस राशि में गुरू 19 जून 2014 तक रहेगा।


1--मेषः धैर्य पूर्वक बिताएं का यह समय है मेष राशि वालों को स्वास्थ्य के मामले में परेशानियां आ सकती है रोग को हल्के में नहीं लें, उपचार पर विशेष ध्यान देने कि आवश्यकता है निराशा और नकारात्मक भावों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दें। आर्थिक दृष्टि से भी गुरू का मिथुन राशि का यह गोचर आपके  अनुकूल नहीं है। इस दौरान आपको आर्थिक फैसले सोच-समझ कर लेने होंगे। नौकरी में लापरवाही से बचें और अपनी जिम्मेदारियों का पालन करें एवं उच्चाधिकारियों से तालमेल बनाए रखें अन्यथा कार्यक्षेत्र में परेशानी आ सकती है। छात्रों को शिक्षा में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। सफलता के लिए विशेष परिश्रम करना होगा। मान-सम्मान का ध्यान रखें, बदनामी मिल सकती है। वैवाहिक लोगो को जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। बच्चों से संबंधित

2--वृष राशिः कैरियर और धन में उन्नति होगी गुरू का आपकी राशि से निकलकर मिथुन में जाना लाभप्रद रहेगा। मानसिक एवं शारीरिक परेशानियों में कमी आएगी। घर में मांगलिक कार्य होंगे। विवाह योग्य युवक-युवतियों की शादी हो सकती है।
जो लोग विवाहित हैं उनके दांपत्य जीवन में प्रेम और आपसी सद्भाव बढ़ेगा। सामाजिक मान-प्रतिष्ठा में वृद्घि होगी। ज्ञान और बोलने की क्षमता का लाभ मिलेगा। आर्थिक दृष्टि से गुरू का गोचर शुभ फलदायी है। आय के साधनों में वृद्घि होगी। चल-अचल संपत्ति एवं भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्घि होगी।
3--मिथुन राशिः कोई अनजाना भय सता सकता है
19 जून 2014 तक गुरू आपकी राशि में रहेंगे। गुरू का यह गोचर आपके लिए मिलजुला फल देने वाला रहेगा। सलाह है कि गैर जरूरी मामलों से अपने को दूर रखें मानसिक तनाव बढ़ेगा। धर्म-कर्म एवं दर्शन में रूचि बढ़ेगी। कोई अनजाना भय सता सकता है। स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। दांपत्य जीवन में आपसी तालमेल की कमी रह सकती है। लेकिन विवाह के इच्छुक युवक युवतियों की की शादी हो सकती है। विरोधी सक्रिय रहेंगे, पुराने शत्रुओं से सावधान रहें। आर्थिक दृष्टि से गुरू का गोचर सामान्य रहेगा। आय में कमी नहीं होगी लेकिन आकस्मिक व्यय के कारण धन संचय नहीं हो पाएगा अपने मान-सम्मान का ध्यान रखें।
4--कर्क राशि: समझदारी से करें निवेश
गुरू आपकी राशि से 12 वें स्थान में आ जाययेगें जो अनुकूल स्थिति नहीं है। 12 वें स्थान दुख का स्थान माना जाता है  तनाव एवं चिंता में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य में तार-चढ़ाव बना रहेग। जो लोग बीमार हैं उन्हें इस अवधि में अधिक सजग रहना होगा। सगे-संबंधियों के विरोध का सामना करना होगा। व्यय पर नियंत्रण रखें व्यवसायियों को कारोबार में लाभ की कमी एवं अन्य प्रकार की समस्याओं का सामना करना होगा। नौकरी पेशा लोगों के अधिकारियों से मतभेद संभव हैं।
5--सिंह राशि: परिवार में मांगलिक कार्य होगा गुरू आपके लिए शुभ फलदायक रहेंगे क्योंकि यह आपकी राशि से 11 वें स्थान पर होंगे। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में कमी आएगी। जो बीमार हैं उनके स्वास्थ्य में सुधार होगा। सामाजिक मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। जिन लोगों के दांपत्य जीवन में परेशानी चल रही है उनके बीच आपसी तालमेल बढ़ेगा। पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत होंगे। विवाह योग्य युवक-युवतियों की शादी हो सकती है। सगे-संबंधियों से भरपूर सहयोग मिलेगा। संतान सुख की इच्छा पूरी होगी। आर्थिक दृष्टि से समय अच्छा रहेगा। विभिन्न स्रोतों से धन का लाभ मिलेगा एवं व्यय पर नियंत्रण रख पाएंगे। संचित धन बढ़ेगा। कहीं से रूका हुआ धन मिल सकता है। अधिकारियों से भरपूर सहयोग मिलेगा।
6--कन्या राशि: आय में प्रगति धीमी रहेगी इस राशि वालों के लिए गुरू का गोचर मध्यम फलदायी रहेगा। स्वास्थ्य के मामले में सजग रहना होगा अन्यथा उतार-चढ़ाव बना रहेगा। चिंता और तनाव बढ़ेगा कभी-कभी नकारात्मक विचार हावी हो सकता है। जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। संतान पक्ष को लेकर चिंतित रहेंगे। पिता से मतभेद हो सकता है। आय में प्रगति धीमी रहेगी जबकि व्यय बढ़ेगा
कार्यक्षेत्र में काम का दबाव बढ़ेगा। पद-प्रतिष्ठा में कमी आएगी। अधिकारियों का व्यवहार प्रतिकूल हो सकता है। कार्यक्षेत्र में जोखिम और लापरवाही से बचें।
7--तुला राशि:गुरु की दृष्टि में आने से तुला राशि के शनि शांत रहेंगे. धन लाभ बढ़ेगा, तीर्थ यात्रा करेंगे  19 जून 2014 तक बृहस्पति मिथुन राशि में होंगे। यह समय स्वास्थ्य की दृष्टि से सुखद रहेगा। मानसिक तनाव दूर होंगे और सकारात्मक विचारों का संचार होगा। पारिवारिक जीवन सुखद और आनंदपूर्ण रहेगा। पति-पत्नी के संबंध मजबूत होंगे। विवाह के इच्छुक युवक-युवतियों की शादी हो सकती है। मान-सम्मान का लाभ मिलेगा। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। कहीं से अटका हुआ धन मिल सकता है।
8--वृश्चिक राशिः आर्थिक फैसले सोच-समझकर लें सेहत के मामले में आपको लापरवाही से बचना होगा
इन दिनों धर्म-कर्म पर ध्यान देना लाभप्रद रहेगा। मान-सम्मान की हानि होगी। समाज में छवि धूमिल हो सकती है। किसी निकट संबंधी के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रहेंगे। पारिवारिक जीवन में तनाव बढ़ेगा।
इस राशि के व्यक्ति साढ़ेसाती के प्रभाव में हैं और गुरू आपकी राशि से आठवें होंगे। यह स्थिति आर्थिक दृष्टि से अनुकूल नहीं है। धन-संपत्ति से जुड़े फैसले सावधानी पूर्वक लें। नौकरी करने वालों को अपने अधिकारियों से तालमेल बनाए रखना चाहिए। काम का दबाव बढ़ेगा।
9--धनु राशिः चल-अचल संपत्ति का लाभ मिलेगा गुरू का यह गोचर आपके लिए शुभ फलदायी रहेगा। उन्नति का की ओर अग्रसर होंगे। जो लोग पदोन्नति के संबंध में अच्छी ख़बर मिल सकती है। कार्यक्षेत्र में महत्व एवं सम्मान बढ़ेगा। व्यवसायियों को कारोबार में वृद्घि का मौका। आय के साधनों में वृद्घि होगी। शुभ कार्यों पर धन खर्च होगा।
10--मकर राशिः आकस्मिक खर्चे बढ़ेंगे जन्मपत्री का 6ठवा घर रोग स्थान होता है। पारिवारिक जीवन में तनाव बढ़ सकता है। सलाह है कि जीवनसाथी से अनावश्यक वाद-विवाद में नहीं उलझें। आकस्मिक खर्चे बढ़ेंगे, बजट को संभालने के लिए कर्ज लेना पड़ सकता है।
11--कुंभ राशिः पदोन्नति एवं मान-सम्मान मिलेगा आर्थिक दृष्टि से यह समय शुभ फलदायक रहेगा। विभिन्न स्रोतों से धन का आगमन होने से आर्थिक चिंताएं दूर होंगी। भविष्य में लाभ मिलेगा। कैरियर और व्यवसाय की दृष्टि से भी यह समय सुखद है।
12--मीन राशिः आर्थिक लाभ के मौके कम मिलेंगे गुरू का यह गोचर आपके लिए सामान्य फलदायक रहेगा। स्वास्थ्य का थोड़ा ध्यान रखें। मौसम में बदलाव के समय सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा। जमीन-जायदाद को लेकर सगे-संबंधियों से मतभेद होगा। माता के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित। आर्थिक लाभ के मौके कम मिलेंगे जबकि खर्च में वृद्घि होगी। इससे बजट प्रभावित होगा। धन का निवेश सोच-समझकर करें अन्यथा नुकसान हो सकता है।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

शुक्रवार, 24 मई 2013

75 साल पुरानी पुस्तक के अशं अवलोकन के लिये




मित्रो यहा आपके लिये 75 साल पुरानी पुस्तक के अशं अवलोकन के लिये रख रहा हम आप इसका लाभ उठाये इसके चार पृष्ठ है


नर हो न निराश करो मन को
कुछ काम करो कुछ काम करो
जग में रहके निज नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो न निराश करो मन को

मंगलवार, 21 मई 2013

नृसिंह जयंती 23-5-2013 को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाती है


 भगवान नृसिंह जयंती पूजा | 
नृसिंह जयंती के दिन व्रत-उपवास एवं पुजा अर्चना कि जाती है इस दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए तथा भगवान नृसिंह की विधी विधान के साथ पूजा अर्चना करें. भगवान नृसिंह तथा लक्ष्मीजी की मूर्ति स्थापित करना चाहिए तत्पश्चात वेदमंत्रों से इनकी प्राण-प्रतिष्ठा कर षोडशोपचार से पूजन करना चाहिभगवान नरसिंह जी की पूजा के लिए फल, पुष्प, पंचमेवा, कुमकुम केसर, नारियल, अक्षत व पीताम्बर रखें. गंगाजल, काले तिल, पञ्च गव्य, व हवन सामग्री का पूजन में उपयोग करें.
भगवान नरसिंह को प्रसन्न करने के लिए उनके नरसिंह गायत्री मंत्र का जाप करें. पूजा पश्चात एकांत में कुश के आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से इस नृसिंह भगवान जी के मंत्र का जप करना चाहिए. इस दिन व्रती को सामर्थ्य अनुसार तिल, स्वर्ण तथा वस्त्रादि का दान देना चाहिए. इस व्रत करने वाला व्यक्ति लौकिक दुःखों से मुक्त हो जाता है भगवान नृसिंह अपने भक्त की रक्षा करते हैं व उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
नरसिंह मंत्र ।
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम् I
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम् II
ॐ नृम नृम नृम नर सिंहाय नमः ।
इन मंत्रों का जाप करने से समस्त दुखों का निवारण होता है तथा भगवान नृसिंह की कृपा प्राप्त होती है.

  1. वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है. भगवान श्री नृसिंह शक्ति तथा पराक्रम के प्रमुख देवता हैं, पौराणिक मान्यता एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसी तिथि को भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था. इस वर्ष 2013 में यह जयन्ती 23 मई, दिन गुरुवार को मनाई जाएगी.
  2. हिन्दू पंचांग के अनुसार नरसिंह जयंती का व्रत वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है. पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी पावन दिवस को भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लिया तथा दैत्यों का अंत कर धर्म कि रक्षा की. अत: इस कारणवश यह दिन भगवान नृसिंह के जयंती रूप में बड़े ही धूमधाम और हर्सोल्लास के साथ संपूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाता है.
  3. नरसिंह जयंती कथा | 
  4. नृसिंह अवतार भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों में से एक है. नरसिंह अवतार में भगवान विष्णु ने आधा मनुष्य व आधा शेर का शरीर धारण करके दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था. धर्म ग्रंथों में भगवान के इस अवतरण के बारे विस्तार पूर्वक विवरण प्राप्त होता है जो इस प्रकार है- प्राचीन काल में कश्यप नामक ऋषि हुए थे उनकी पत्नी का नाम दिति था. उनके दो पुत्र हुए, जिनमें से एक का नाम हरिण्याक्ष तथा दूसरे का हिरण्यकशिपु था.
  5. हिरण्याक्ष को भगवान श्री विष्णु ने पृथ्वी की रक्षा हेतु वाराह रूप धरकर मार दिया था. अपने भाई कि मृत्यु से दुखी और क्रोधित हिरण्यकशिपु ने भाई की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए अजेय होने का संकल्प किया. सहस्त्रों वर्षों तक उसने कठोर तप किया, उसकी तपस्या से प्रसन्न हो ब्रह्माजी ने उसे 'अजेय' होने का वरदान दिया. वरदान प्राप्त करके उसने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया, लोकपालों को मार भगा दिया और स्वत: सम्पूर्ण लोकों का अधिपति हो गया.
  6. देवता निरूपाय हो गए थे वह असुर को किसी प्रकार वे पराजित नहीं कर सकते थे अहंकार से युक्त वह प्रजा पर अत्याचार करने लगा. इसी दौरान हिरण्यकशिपु कि पत्नी कयाधु ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम प्रह्लाद रखा गया एक राक्षस कुल में जन्म लेने पर भी प्रह्लाद में राक्षसों जैसे कोई भी दुर्गुण मौजूद नहीं थे तथा वह भगवान नारायण का भक्त था तथा अपने पिता के अत्याचारों का विरोध करता था.
  7. भगवान-भक्ति से प्रह्लाद का मन हटाने और उसमें अपने जैसे दुर्गुण भरने के लिए हिरण्यकशिपु ने बहुत प्रयास किए, नीति-अनीति सभी का प्रयोग किया किंतु प्रह्लाद अपने मार्ग से विचलित न हुआ तब उसने प्रह्लाद को मारने के षड्यंत्र रचे मगर वह सभी में असफल रहा. भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद हर संकट से उबर आता और बच जाता था.
  8. इस बातों से क्षुब्ध हिरण्यकशिपु ने उसे अपनी बहन होलिका की गोद में बैठाकर जिन्दा ही जलाने का प्रयास किया. होलिका को वरदान था कि अग्नि उसे नहीं जला सकती परंतु जब प्रल्हाद को होलिका की गोद में बिठा कर अग्नि में डाला गया तो उसमें होलिका तो जलकर राख हो गई किंतु प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ.
  9. इस घटना को देखकर हिरण्यकशिपु क्रोध से भर गया उसकी प्रजा भी अब भगवान विष्णु को पूजने लगी, तब एक दिन हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद से पूछा कि बता, तेरा भगवान कहाँ है? इस पर प्रह्लाद ने विनम्र भाव से कहा कि प्रभु तो सर्वत्र हैं, हर जगह व्याप्त हैं. क्रोधित हिरण्यकशिपु ने कहा कि 'क्या तेरा भगवान इस स्तम्भ (खंभे) में भी है? प्रह्लाद ने हाँ, में उत्तर दिया.
  10. यह सुनकर क्रोधांध हिरण्यकशिपु ने खंभे पर प्रहार कर दिया तभी खंभे को चीरकर श्री नृसिंह भगवान प्रकट हो गए और हिरण्यकशिपु को पकड़कर अपनी जाँघों पर रखकर उसकी छाती को नखों से फाड़ डाला और उसका वध कर दिया. श्री नृसिंह ने प्रह्लाद की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि आज के दिन जो भी मेरा व्रत करेगा वह समस्त सुखों का भागी होगा एवं पापों से मुक्त होकर परमधाम को प्राप्त होगा अत: इस कारण से दिन को नृसिंह जयंती-उत्सव के रूप में मनाया जाता है.

रविवार, 19 मई 2013

ग्रहों से सम्बन्धित रत्न तथा धातु कब पहने किस उगली मे पहने किस समय पहने


मजेदार बात ये है कि आज कल ग्रहों से सम्बन्धित रत्न जन्मपत्री देख कर जोर देकर बता दिये जाते है परन्तु रत्न किस धातु मे कब और किस समय पहना जाये ये नही बताया जाता है अपने मित्रो को सुविधा के लिये मै यहां एक चार्ट तैयारर करके प्रस्तुत कर रहा हूं ग्रहों से सम्बन्धित रत्न तथा धातु कब पहने किस उगली मे पहने किस समय पहने

रविवार, 5 मई 2013

गुरू और शुक्र का पंचग्रही योग वृषभ राशि में बनेगा.बड़े भूकम्पों के योग बन रहे हैं।


5 मई से 12 मई को सूर्य, मंगल, बुध, केतु का मेष राशि में चतुर्ग्रही योग बनेगा.पंचग्रही योग --23 मई से 27 मई, सूर्य, मंगल, बुध, गुरू और शुक्र का पंचग्रही योग वृषभ राशि में बनेगा.बड़े भूकम्पों के योग बन रहे हैं। राजनैतिक स्थितियां विवादास्पद रह सकती हैं।
  1. तीनग्रही योग - 14 मई से 29 मई तक सूर्य, गुरू, शुक्र का मेष राशि में तीनग्रही योग बनेगा. 28 अप्रैल से 4 मई तक सूर्य, बुध, शुक्र का मेष राशि में तीनग्रही योग बनेगा.
  2. चतुर्ग्रही योग - 5 मई से 12 मई को सूर्य, मंगल, बुध, केतु का मेष राशि में चतुर्ग्रही योग बनेगा. 14 मई से 27 मई को सूर्य, बुध, गुरू, शुक्र का वृष राशि में चतुर्ग्रही योग बनेगा.
  3. पंचग्रही योग - 23 मई से 27 मई तक सूर्य,मंगल, बुध, गुरू, शुक्र का वृष राशि में पंचग्रही योग रहेगा.
  4. समसप्तक योग - 12 अप्रैल से 23 मई तक मंगल और शनि का समसप्तक योग रहेगा. 13 अप्रैल से 13 मई तक सूर्य और शनि का समसप्तक योग रहेगा.
  5. षडाष्टक योग - 23 मई से 4 जुलाई तक शनि-मंगल का षडाष्टक योग रहेगा.
  6. ज्योतिष के अनुसार इस समय ग्रह योगायोग में अनहोनी का संकेत भी नजर आ रहा है। राजनैतिक और सामाजिक वातावरण में उथल-पुथल होने की संभावना भी दिख रही है। विशेष रूप से उत्तर पूर्व का हिस्सा जम्मू कश्मीर, असाम, उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, बिहार, पश्चिमी राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा महाराष्ट्र, कर्नाटका, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ क्षेत्रों में विशेष सावधानी सरकारों को बरतनी होगी।
  7. इन ग्रह योगायोगों पर बारह राशियों पर क्या प्रभाव रहेगा-
  8. मेष राशि
  9. --मेष राशि वालों के लिए यह योग आर्थिक और पारिवारिक दृष्टिकोण से शुभ और मंगलमय रहेगा। धन लाभ होगा कारोबार में विस्तार के मौके मिलेंगे। शत्रु परास्त होंगे।
  10. वृषभ राशि
  11. --वृषभ राशि वालों के लिए यह योग कारोबारी शुभ घटना का संकेत दे रहा है। परंतु सावधानी भी बरतनी होगी।
  12. कारोबारी संबंधों में सुधार होगा। परंतु पूंजी निवेश से बचें। पारिवारिक सदस्यों का सहयोग प्राप्त होगा। स्वास्थ्य को लेकर परेशानी आएगी।
  13. उपाय:-
  14. शुक्रवार घी, दही, कपूर और अदरक का दान दें।
  15. मिथुन राशि
  16. --मिथुन राशि वालों के लिए यह योग अनुकूल व लाभदायक रहेगा। आर्थिक लाभ बढ़ेगा। कानूनी मसलों में सफलता मिलेगी।
  17. जमीन-जायदाद के विवादित सौदों से दूर रहें। प्रत्येक बुधवार को इलायची, पालक, हरी चूडिय़ां, हरे वस्त्र श्रद्घानुसार किन्नर को दान दें।
  18. कर्क राशि
  19. --कर्क राशि वालों के लिए यह योग बहुत ही सावधानी का है। पारिवारिक कलह बढ़ेगा। आर्थिक दबाव रहेगा। मनोबल में कमी आएगी।
  20. उपाय:- पानी में कच्चा दूध मिलाकर चंद्रमा मंत्र का जाप करते हुए पीपल में चढ़ाएं।
  21. सिंह राशि
  22. --सिंह राशि वालों के लिए यह समय मिलाजुला रहेगा। जहां एक ओर व्यवसाय में सफलता मिलेगी।
  23. उपाय:- 43 दिन बहते पानी में गुड़ व तांबे के सिक्के बहते पानी बहाना शुभ रहेगा।
  24. कन्या राशि
  25. --कन्या राशि के लिए यह ग्रह योगायोग बहुत ही अनुकूल है।
  26. उपाय:-कांसे का गोल टुकड़ा हरे रंग के कपड़े में लपेटकर जेब में रखें।
  27. बुधवार के दिन साबुत मूंग के 7 दानें, हरा हकीक हरे कपड़ें में लपेट कर अपने उपर से 7 बार उसार कर बहते पानी में प्रवाह करें।
  28. तुला राशि
  29. --तुला राशि वालों के लिए यह योग अनुकूल व सफलता प्रदान कराने वाला होगा। धन लाभ के अवसर प्राप्त होंगे।
  30. उपाय:- शुक्रवार का व्रत करें। व्रत का समापन चावल और दूध की खीर खाकर करें। नमक का सेवन न करें।
  31.  वृश्चिक राशि
  32. --वृश्चिक राशि वालों के लिए यह समय अनुकूल व लाभदायक रहेगा। शादी-विवाह समस्याओं का निवारण होगा।
  33. उपाय:- मसूर, गुड़, लाल वस्त्र का दान गरीब व जरूरतमंद व्यक्ति को करें।
  34. धनु राशि
  35. --धनु राशि वालों के लिए यह समय विशेष सावधानी का है। आर्थिक दृष्टिकोण से लाभ तो होगा परंतु संघर्ष करना होगा।
  36. उपाय:-चांदी की कटोरी में केसर व हल्दी घोलकर नियमित तिलक करें। चमेली के 9 पुष्प लेकर अपने ऊपर से नौ बार उसार कर बहते पानी में प्रवाह करें।
  37. मकर राशि
  38. --मकर राशि वालों के लिए शुभ व मंगलमय योग बन रहा है। कारोबार में सफलता मिलेगी।
  39. उपाय:- मिट्टी के कुल्हड़ में देसी खांड भर के किसी मंदिर में या वीरानें स्थान में रखकर आ जाएं। मछलियों को भोजन देना अच्छा रहेगा।
  40. कुंभ राशि 
  41. -- कुंभ राशि वालों के लिए कारोबार की दृष्टि से समय अनुकूल, ग्रहयोगायोग सफलता का संकेत दे रहें हैं। बिगड़े कामों में सुधार होगा।
  42. उपाय:-1. कुंभ राशि वाले चीटिंयों को त्रिचोली डालें। मां भगवती दुर्गा के आगे अखंड ज्योत जलाएं।
  43. मीन राशि
  44. --मीन राशि वालों के लिए समय प्रतिकूलता का संकेत दे रहे हैं। बनते हुए कार्य में अनावश्यक रुकावटें आएंगी।
  45. उपाय:-किसी सौभाग्यवती स्त्री को पीले वस्त्रों का दान दें। प्रत्येक बृहस्पतिवार को बेसन के लड्डू गाय को अपने हाथ से खिलाएं।
  46. इन ग्रहीय परिवर्तनो के प्रभाव या दुष्प्रभाव से धर्म और आस्था भी अछूते नहीं रह सकेंगे। श्रद्धालुओं के धर्म के विश्वास में अस्थिरता, धार्मिक स्थलों के आसपास दुर्घटनाओं या हिंसक घटनाओं के दैवीय प्रकोप से हानि सम्भव है। धर्म, और धर्माचार्यों, पुजारी, धर्म संस्थानों के कर्मचारी भी प्रभावित हो सकते हैं राजनैतिक स्थितियां विवादास्पद रह सकती हैं। उपायों की तो प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए तो सभी को मिलकर पूजा अर्चना एवं हवन आदि करना चाहिए और व्यक्ति विशेष के लिए सम्बंधित ग्रह की शांति के उपाय अपनाने चाहिए।

प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र मेरठ कैन्ट 09359109683

शनिवार, 4 मई 2013

कैरियर, एजुकेशन तथा व्यापार में सफलता के लिए क्रिस्टल ग्लोब कमरे में रखें।



  1. कैरियर, एजुकेशन तथा व्यापार में सफलता के लिए क्रिस्टल ग्लोब कमरे में रखें। इसे दिन में 3 बार घुमाएं। इससे ग्लोब से निकली सकारात्मक ऊर्जा पूरे क्षेत्र में फैल जाती है। प्रयोग से पहले इस ग्लोब को स्टैंड से उतार कर नमक के पानी में धो कर कांच की बरतन में रख कर 2-3 घंटे सुबह की धूप में रखते हैं। 
  2. क्रिस्टल ग्लोब असल में क्रियाशीलता का परिचायक है। नौकरी हो या व्यवसाय, यह आपकी आमदनी अथवा तरक्की में आए ठहराव को समाप्त कर नए अवसर प्रदान करता है। जो लोग मल्टीनेशनल कंपनी में हैं, एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट का बिजनेस करते हैं, कम्युनिकेशन के क्षेत्र में भाग्य आजमाना चाहते हैं, वे क्रिस्टल ग्लोब रख कर अपनी संचालन क्षमता बढ़ा सकते हैं। क्रिस्टल फुटबॉल की तरह गोल होता है। यह रेक्सीन, कांच व स्फटिक का भी मिलता है। शिक्षा, करियर व यात्रा संबंधी अवसर बढ़ाने में यह आदर्श भूमिका निभाता है। निजी संबंधों को भी यह जीवंत बनाए रखता है। क्रिस्टल ग्लोब से जुड़ा एक अहम् तथ्य यह है कि इसे भिन्न-भिन्न दिशाओं में रखने से भिन्न-भिन्न परिणाम हासिल होते हैं।  

इसे उत्तर-पूर्व में रखा जाए तो यह नॉलिज (ज्ञान) बढ़ाता है। अगर इसे उत्तर-पश्चिम में रखें तो उत्तम जानकारी अर्थात उन्नति के अवसरों की पहचान करवाता है। यदि इसे दक्षिण-पश्चिम में रखा जाए तो संबंधों में प्रगाढ़ता लाता है।
क्रिस्टल पृथ्वी तत्व है। यह दक्षिण-पश्चिम में अधिक लाभ देता है। अगर आप लेखक हैं तो इसे लगाकर अच्छी पहचान व प्रसिद्धि पा सकते हैं। बच्चों के कमरे या स्टडी टेबल पर लगाने से पढ़ाई व परीक्षा में सौभाग्य साथ देता है। बिजनेसमैन इसे उत्तर-पूर्व में लगाकर बिजनेस बढ़ा सकते हैं।