शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013

यह व्रत शत्रुओं पर विजय हासिल करने के लिए अच्छा माना गया है


वर्ष 2014 में प्रदोष व्रत की तिथियाँ 


प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है और इस दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है. यह व्रत शत्रुओं पर विजय हासिल करने के लिए अच्छा माना गया है. प्रदोष काल वह समय कहलाता है जिस समय दिन और रात का मिलन होता है. भगवान शिव की पूजा एवं उपवास- व्रत के विशेष काल और दिन रुप में जाना जाने वाला यह प्रदोष काल बहुत ही उत्तम समय होता है. प्रदोष तिथि का बहुत महत्व है, इस समय की गई भगवान शिव की पूजा से अमोघ फल की प्राप्ति होती है.


 इस व्रत को यदि वार के अनुसार किया जाए तो अत्यधिक शुभ फल प्राप्त होते हैं. वार के अनुसार का अर्थ है कि जिस वार को प्रदोष व्रत पड़ता है उसी के अनुसार कथा पढ़नी चाहिए. इससे शुभ फलों में अधिक वृद्धि होती है. अलग-अलग कामनाओं की पूर्त्ति के लिए वारों के अनुसार प्रदोष व्रत करने से लाभ मिलता है.

प्रदोष काल में की गई पूजा एवं व्रत सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाला माना गया है. इसी प्रकार प्रदोष काल व्रत हर माह के शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष के तेरहवें दिन या त्रयोदशी तिथि में रखा जाता है. कुछ विद्वानों के अनुसार द्वादशी एवं त्रयोदशी की तिथि भी प्रदोष तिथि मानी गई है.

वार के अनुसार प्रदोष व्रत 

  • रवि प्रदोष व्रत - आयु वृद्धि तथा अच्छे स्वास्थ्य लाभ के लिए
  • सोम प्रदोष व्रत - अभीष्ट कामना की पूर्त्ति के लिए
  • मंगल प्रदोष व्रत - रोगों से मुक्ति तथा स्वास्थ्य वृद्धि के लिए
  • बुध प्रदोष व्रत - सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्त्ति के लिए
  • गुरु प्रदोष व्रत - शत्रुओं के दमन तथा नाश के लिए
  • शुक्र प्रदोष व्रत - सुख-सौभाग्य और जीवनसाथी की समृद्धि के लिए
  • शनि प्रदोष व्रत - पुत्र प्राप्ति के लिए

वर्ष 2014 में प्रदोष व्रत की तिथियाँ 


दिनाँक दिन हिन्दु चांद्र मास
13 जनवरी सोमवार - सोम प्रदोष व्रत पौष शुक्ल पक्ष
28 जनवरी मंगलवार - भौम प्रदोष व्रत माघ कृष्ण पक्ष
12 फरवरी बुधवार माघ शुक्ल पक्ष
27 फरवरी बृहस्पतिवार फाल्गुन कृष्ण पक्ष
14 मार्च शुक्रवार फाल्गुन शुक्ल पक्ष
28 मार्च शुक्रवार चैत्र कृष्ण पक्ष
12 अप्रैल शनिवार चैत्र शुक्ल पक्ष
26 अप्रैल शनिवार वैशाख कृष्ण पक्ष
12 मई सोमवार - सोम प्रदोष व्रत वैशाख शुक्ल पक्ष
26 मई सोमवार - सोम प्रदोष व्रत ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष
10 जून मंगलवार - भौम प्रदोष व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष
24 जून मंगलवार - भौम प्रदोष व्रत आषाढ़ कृष्ण पक्ष
10 जुलाई बृहस्पतिवार आषाढ़ शुक्ल पक्ष
24 जुलाई बृहस्पतिवार श्रावण कृष्ण पक्ष
8 अगस्त शुक्रवार श्रावण शुक्ल पक्ष
22 अगस्त शुक्रवार भाद्रपद कृष्ण पक्ष
6 सितंबर शनिवार भाद्रपद शुक्ल पक्ष
21 सितंबर रविवार आश्विन कृष्ण पक्ष
6 अक्तूबर सोमवार आश्विन शुक्ल पक्ष
21 अक्तूबर मंगलवार - भौम प्रदोष व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष
4 नवंबर मंगलवार - भौम प्रदोष व्रत कार्तिक शुक्ल पक्ष
20 नवंबर बृहस्पतिवार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष
4 दिसंबर बृहस्पतिवार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष
19 दिसंबर शुक्रवार पौष कृष्ण पक्ष 
मेरठ के शिव मन्दिर बाबा ओघडनाथ और सदर गजं बाजार के श्री वामन भगवान मन्दिर कि शिव पिन्डी पर जल चढाकर पुन्य फल प्रप्त कर सकते है मैने चमत्कार देखे है 
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट मौ० नम्बर 09359109683

रविवार, 27 अक्तूबर 2013

इस वर्ष दीपावली 03 नवंबर 2013 को मनाई जाएगी । पूजा के लिए श्रेष्ठ स्थिर लग्न

दीपावली हिन्दूओं के मुख्य त्यौहारों में एक है। इस वर्ष दीपावली 03 नवंबर 2013 को मनाई जाएगी। दीपावली भगवान श्री राम के अयोध्या वापसी की खुशी में मनाई जाती है। इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा का विधान है।

पूजा विधि-- स्कंद पुराण के अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन प्रात: काल स्नान आदि से निवृत होकर सभी देवताओं की पूजा करनी चाहिए। इस दिन संभव हो तो दिन में भोजन नहीं करना चाहिए। इसके बाद प्रदोष काल में माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। माता की स्तुति और पूजा के बाद दीप दान करना चाहिए।
इस वर्ष दीपावली कार्तिक कृष्ण अमावस्या रविवार 3 नवंबर 2013 को सांयकाल सूर्यास्त समय 5 बजकर 45 मिनिट पर से रात्रि में 8 बजकर 20 मिनिट तक स्पष्ट प्रदोषकाल में महालक्ष्मी पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त है। 
पूजा के लिए श्रेष्ठ स्थिर लग्न
वृषभ लग्न - समय 18 बजकर 27 मिनट से 20 बजकर 25 मिनट तक
सिंह लग्न - समय रात्रि 24 बजकर 50 मिनट से 27 बजकर 3 मिनट तक
चौघड़िया के अनुसार महालक्ष्मी पूजन मुहूर्त
लाभ एवं अमृत - सुबह 9 बजकर 25 मिनट से 12 बजकर 17 मिनट तक
शुभ - दोपहर 13 बजकर 34 मिनट से 14 बजकर 58 मिनट तक
सांयकाल
शुभ और अमृत - 17 बजकर 45 मिनट से 20 बजकर 58 मिनट तक
-- दीपावली की रात को पूज्य श्रीगणेश को दूर्वा अर्पित करें। दीपावली के शुभ दिन यह उपाय करने से गणेशजी के साथ महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।
--किसी में मंदिर झाड़ू का दान करें। 
--यदि आपके घर के आसपास कहीं महालक्ष्मी का मंदिर हो तो वहां गुलाब की सुगंध वाली अगरबत्ती का दान करें। या इत्र दान करे।
-- दीपावली की रात को सोने से पहले किसी चौराहे पर तेल का दीपक जलाएं और घर लौटकर आ जाएं। ध्यान रखें पीछे पलटकर न देखें।
-- दीपावली के दिन अशोक के पेड़ के पत्तों से वंदनद्वार बनाएं घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाएगी।
--- लक्ष्मी पूजन में सुपारी रखें। सुपारी पर लाल धागा लपेटकर अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि पूजन सामग्री से पूजा करें और पूजन के बाद इस सुपारी को तिजोरी में रखें।
- दीपावली की रात में लक्ष्मी पूजन के साथ ही अपनी दुकान, या ऐसे स्थान जहां आप व्यापार करते है कम्प्यूटर आदि पर काम करने वाले ऐसी चीजों की भी पूजा करें, जो आपकी कमाई का साधन बनते है।
-- दीपक में एक लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करें। किसी मंदिर हनुमान मंदिर जाकर ऐसा दीपक भी जला सकते हैं। इस दिन दीपक सरसो के तेल का जलता है।
-- दीपावली के दिन झाड़ू अवश्य खरीदना चाहिए झाड़ू आपके घर से दरिद्रता निकलती है।
-- अगर आपका बुध खराब है तो आप हिजडे किन्नर से उसकी खुशी से एक रुपया लें और इस सिक्के को अपने पर्स में रखें।
-- - दीपावली पर लक्ष्मी पूजन में हल्दी की गांठ भी रखें। पूजन समाप्ति पर हल्दी की गांठ को घर में उस स्थान पर रखें जहां धन रखा जाता है।
-- एक मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें। मंत्र: ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रववाय, धन-धान्यधिपतये धन-धान्य समृद्धि मम देहि दापय स्वाहा।
-- महालक्ष्मी के पूजन में गोमती चक्र भी रखना चाहिए। गोमती चक्र भी घर में धन संबंधी लाभ दिलाता है।
-- दीपावली की रात को शिव मंदिर जाएं और वहां शिवलिंग पर 300 ग्राम अक्षत यानी चावल चढ़ाएं। ध्यान रहें सभी चावल पूर्ण होने चाहिए। 
-- दीपावली की रात को पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाएं। ध्यान दीपक लगाकर चुपचाप अपने घर लौट आए, पीछे पलटकर न देखें।
-- दीपावली की रात को महालक्ष्मी के पूजन में पीली कौडिय़ा भी रखनी चाहिए। ये कौडिय़ा पूजन में रखने से महालक्ष्मी बहुत ही जल्द प्रसन्न होती हैं। आपकी धन संबंधी सभी परेशानियां खत्म हो जाएंगी।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र मौबाईल नम्बर 09359109683

मंगलवार, 15 अक्तूबर 2013

करवा चौथ दिनांक: 22 अक्टूबर.2013 को , करवा चौथ सुहागिनों का महत्वपूर्ण त्योहार माना गया है। करवाचौथ के अवसर पर इस वर्ष चन्द्रमा अपनी प्रिय पत्नी रोहिणी के साथ होगा

करवा चौथ 2013 दिनांक: 22 अक्टूबर.2013 को 
करवा चौथ पूजा मुहूर्त = १७:३८ से १८:५५ शाम को ५ बजकर ३८ ‍िमनट से शाम ६ बजकर ५१ ‍िमनट तक अवधि = १ घण्टा १७ मिनट 
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ = २२/अक्टूबर/२०१३ को ०७:०६ बजे से 
चतुर्थी तिथि समाप्त = २३/अक्टूबर/२०१३ को ०८:५१ बजे तक



इस बार कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को पड़ने वाले करवा चौथ पर विशेष योग बन रहे हैं. चंद्रमा की 27 पत्नियां मानी जाती हैं. इनकी सभी पत्नियां नक्षत्र हैं. सभी पत्नियों में चन्द्रमा को रोहिणी सबसे प्रिय हैं. करवाचौथ के अवसर पर इस वर्ष चन्द्रमा अपनी प्रिय पत्नी रोहिणी के साथ होगा. जिससे चन्द्रमा का दर्शन अति कल्याणकारी होगा. चन्द्र रोहिणी के संयोग के साथ इस वर्ष मार्कंडेय और सत्यभामा योग भी बन रहा है, जिससे इस वर्ष करवा चौथ का महत्व कुछ और बढ़ गया है. माना जाता है कि यही विशिष्ट योग उस समय बना था जब भगवान श्री कृष्ण और सत्यभामा का मिलन हुआ था. चंद्रमा को अघ्र्य देते समय यदि महिलाएं सत्यभामा, मार्कंडेय और रोहिणी को भी अघ्र्य प्रदान करेंगी, तो उनका दांपत्य जीवन और भी प्रेम और सद्भाव बढ़ेगा. करवा चौथ के दिन स्त्रियों को श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मिणी को याद करते हुए रुक्मिणी मंगल का पाठ करना चाहिए.
करवा चौथ सुहागिनों का महत्वपूर्ण त्योहार माना गया है। इस पर्व पर सुहागिन महिलाएं हाथों में मेहंदी रचाकर, चूड़ियां पहनकर व सोलह श्रृंगार कर अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूजा कर व्रत का पारायण करती हैं। सुहागिन या पतिव्रता स्त्रियों के लिए करवा चौथ बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। 
सरगी 
करवा चौथ में सरगी का काफी महत्व है. सरगी सास की तरफ से अपनी बहू को दी जाती है. इसका सेवन महिलाएं करवाचौथ के दिन सूर्य निकलने से पहले तारों की छांव में करती हैं. सरगी के रूप में सास अपनी बहू को विभिन्न खाद्य पदार्थ एवं वस्त्र इत्यादि देती हैं. सरगी, सौभाग्य और समृद्धि का रूप होती है. सरगी के रूप में खाने की वस्तुओं को जैसे फल, मीठाई आदि को व्रती महिलाएं व्रत वाले दिन सूर्योदय से पूर्व प्रात: काल में तारों की छांव में ग्रहण करती हैं. तत्पश्चात व्रत आरंभ होता है. अपने व्रत को पूर्ण करती हैं.
करवा चौथ व्रत विधि:-
- करवा चौथ की आवश्यक संपूर्ण पूजन सामग्री को एकत्र करें।
- व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें- ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।’
- पूरे दिन निर्जला रहें।
- दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें। इसे वर कहते हैं। चित्रित करने की कला को करवा धरना कहा जाता है।
- आठ पूरियों की अठावरी बनाएं, हलुआ बनाएं, पक्के पकवान बनाएं।
- पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेशजी बनाकर बिठाएं।
- गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं, चौक बनाकर आसन को उस पर रखें, गौरी को चुनरी ओढ़ाएं, बिंदी आदि सुहाग सामग्री से गौरी का श्रृंगार करें।
- जल से भरा हुआ लोटा रखें।
- वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें।
- रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं।
- गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें। पति की दीर्घायु की कामना करें।
‘नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥’
- करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें।
- कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सासुजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें।
- तेरह दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें।
- रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
- इसके बाद पति से आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें।
पूजन के पश्चात आस-पड़ोस की महिलाओं को करवा चौथ की बधाई देकर पर्व को संपन्न करें।

करवा चौथ एक दिन का त्योहार होता है जिसमे विवाहित महिलाएँ सूर्योदय से चन्द्रोदय तक व्रत रखती हैं। इस व्रत को करने से पतियों की भलाई, समृद्धि और लम्बी उम्र की कामना की जाती है। करवा चौथ उत्तरी भारतीय प्रदेशों में ज्यादा प्रसिद्ध है।
करवा चौथ के दिन सक्त उपवास रखा जाता है और ज्यादातर महिलाएँ पूरे दिन पानी तक का सेवन नहीं करती हैं। व्रत को चन्द्र दर्शन के बाद ही तोड़ा जाता है। 
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ = २२/अक्टूबर/२०१३ को ०७:०६ बजे से 
चतुर्थी तिथि समाप्त = २३/अक्टूबर/२०१३ को ०८:५१ बजे तक
करवा चौथ पूजा मुहूर्त = १७:३८ से १८:५५ शाम को ५ बजकर ३८ ‍िमनट से शाम ६ बजकर ५१ ‍िमनट तक अवधि = १ घण्टा १७ मिनट 
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट मौबाईल नम्बर 09359109683

सोमवार, 14 अक्तूबर 2013

पापांकुशा एकादशी 15 अक्टूबर 2013 का दिन बहुत खास है

पापांकुशा एकादशी  15 अक्टूबर 2013 का दिन बहुत खास है
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2013 का दिन हिन्दी पंचांग के अनुसार बहुत खास है। वर्तमान में आश्विन माह का शुक्ल पक्ष चल रहा है और मंगलवार के दिन एकादशी आ रही है। इस एकादशी का नाम है पापांकुशा एकादशी। शास्त्रों के अनुसार इस एकादशी पर कुछ सामान्य नियमों का भी पालन कर लिया जाए तो महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो जाती है। दीपावली से पहले ये एक खास दिन है जब देवी भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की कृपा एक साथ प्राप्त की जा सकती है।
पापांकुशा एकादशी का महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था। इस एकादशी पर भगवान पद्मनाभ की विशेष पूजा की जानी चाहिए।
इस दिन विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। जो भी व्यक्ति पापांकुशा एकादशी पर श्रीहरि की पूजा करता है उसके सभी पाप नष्ट होते हैं और स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। विष्णु पूजा से महालक्ष्मी भी अति प्रसन्न होती हैं। शास्त्रों के अनुसार इस एकादशी के नियम पालन करने पर जो पुण्य प्राप्त होता है वह कठिन तपस्या से भी प्राप्त होने वाले पुण्य से भी अधिक है। इस दिन 7 प्रकार के अनाज गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए।
इस व्रत से व्यक्ति के मातृपक्ष के दस और पितृपक्ष के दस पितरों को विष्णु लोक प्राप्त होता है। एकादशी व्रत में विष्णु का पूजन करने के लिए वह धूप, दीप, नारियल और पुष्प का प्रयोग किया जाता है। समस्त पापों का नाश करने वाली इस एकादशी का नाम पापांकुशा एकादशी है।
भगवान् विष्णु का भक्ति भाव से पूजन आदि करके भोग लगाते हैं। फिर यथासंभव ब्राह्मण को भोजन करा कर दान व दक्षिणा देते हैं। इस दिन किसी भी एक समय फलाहार किया जाता है। कथा है कि प्राचीन समय में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक बहेलिया रहता था। वह बड़ा क्रूर था। उसका सारा जीवन पाप कर्मों में बीता। जब उसका अंत समय आया, तो वह मृत्यु-भय से कांपता हुआ महर्षि अंगिरा के आश्रम में पहुंचकर याचना करने लगा- ‘‘हे ऋषिवर ! मैंने जीवन भर पाप कर्म ही किए हैं। कृपा कर मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे मेरे सारे पाप मिट जाएं और मोक्ष की प्राप्ति हो जाए।’’ उसके निवेदन पर महर्षि अंगिरा ने उसे पापांकुशा एकादशी का व्रत करके प्रभु कृपा प्राप्त करने की सलाह दी। तत्पश्चात उसने पूर्ण श्रद्धा के साथ यह व्रत किया, और किए गए सारे पापों से छुटकारा पा लिया। 
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र मौबाईल नम्बर 09359109683

स्त्री की पुत्र प्राप्ति की अभिलाषा अवश्य पूर्ण 26 - 27 अक्टूबर 2013 को

26-27 अक्टूबर 2013 को तथा 23 नवम्बर 2013 को पुष्य नक्षत्र है 26 अक्टूबर 2013 को दोपहर 2.58 से 27 अक्टूबर 2013 को शाम 5.30 बजे तक।  22 को नवम्बर 2013 रात 10.2 से 23 नवम्बर 2013 की रात 12.35 बजे तक पुष्य नक्षत्र में असगन्ध की जड़ को उखाड़कर गाय के दूध के साथ सिल पर पीसकर पीने से दूध का आहार, ऋतुकाल के उपरांत शुद्ध होने पर पीते रहने से, स्त्री की पुत्र प्राप्ति की अभिलाषा अवश्य पूर्ण हो जाती हैं | 


पुष्य नक्षत्र के पहले चरण के मालिक शनि-सूर्य हैं,जो कि जातक को मानसिक रूप से अस्थिर बनाते हैं,और जातक में अहम की भावना बढाते हैं,कार्य पिता के साथ होने से जातक को अपने आप कार्यों के प्रति स्वतन्त्रता नही मिलने से उसे लगता रहता है,पुष्य नक्षत्र के प्रथम चरण का अक्षर 'हू' है
पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण के मालिक शनि-बुध हैं,शनि कार्य और बुध बुद्धि का ग्रह है,दोनो मिलकर कार्य करने के प्रति बुद्धि को प्रदान करने के बाद जातक को होशियार बना देते है,जातक मे भावनात्मक पहलू खत्म सा हो जाता है और गम्भीरता का राज हो जाता है.द्वितीय चरण का अक्षर 'हे' है
तीसरे चरण के मालिक ग्रह शनि-शुक्र हैं,शनि जातक के पास धन और जायदाद देता है,तो शुक्र उसे सजाने संवारने की कला देता है.शनि अधिक वासना देता है,तो शुक्र भोगों की तरफ़ जाता है.तृ्तीय चरण का अक्षर 'हो' है.
चौथे चरण के मालिक शनि-मंगल है,जो जातक में जायदाद और कार्यों के प्रति टेकनीकल रूप से बनाने और किराये आदि के द्वारा धन दिलवाने की कोशिश करते हैं,शनि दवाई और मंगल डाक्टर का रूप बनाकर चिकित्सा के क्षेत्र में जातक को ले जाते हैं.चतुर्थ चरण का अक्षर 'ड' है. पुष्य नक्षत्र की योनि मेष है. पुष्य नक्षत्र को ऋषि मरीचि का वंशज माना गया है.
पुष्य को ऋग्वेद में तिष्य अर्थात शुभ या माँगलिक तारा भी कहते हैं विद्वान इस नक्षत्र को बहुत शुभ और कल्याणकारी मानते हैं. विद्वान इस नक्षत्र का प्रतीक चिह्न गाय का थन मानते हैं. उनके विचार से गाय का दूध पृ्थ्वी लोक का अमृ्त है. पुष्य नक्षत्र गाय के थन से निकले ताजे दूध सरीखा पोषणकारी, लाभप्रद व देह और मन को प्रसन्नता देने वाला होता है. 
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र मौबाईल नम्बर 09359109683

शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013

12 अक्तूबर 2013 को नवरात्र का आठवां दिन होगा और उसी दिन दुर्गाष्टमी भी पड़ेगी।

नवमी की शाम को ही विजयदशमी का पर्व मनाया जाना चाहिये।
इस वर्ष कई तिथियों में मतभेद रहे हैं। नवरात्र भी नौ हैं, लेकिन पहले नवरात्र से विजयदशमी तक के 10 दिन इस बार नहीं हैं। इस वर्ष नवमी को ही विजयदशमी मनाई जाएगी। दशहरे के दिन को साल के तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में शामिल किया जाता है. दशहरे के अलावा अन्य दो शुभ तिथियां चैत्र शुक्ल व कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा भी अन्य वर्ष की शुभ तिथियों में आती है. इस तिथि को सभी कार्यो के लिये शुभ माना जाता है.इस वर्ष 2013 में नवमी की शाम को ही विजयदशमी का पर्व मनाया जाना चाहिये।


मार्तंड पंचांग के अनुसार इस बार नवरात्र का शुभारंभ 5 अक्तूबर 2013 को होगा। प्रतिदिन 1 नवरात्र मनाया जाएगा। 12 अक्तूबर 2013 को नवरात्र का आठवां दिन होगा और उसी दिन दुर्गाष्टमी भी पड़ेगी।

प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट मौबाईल नम्बर 09359109683

गुरुवार, 10 अक्तूबर 2013

बत्तीस नामों की माला के एक अद्भुत गोपनीय रहस्यमय

सुबह सब कार्यो से निर्वित हो कर कुश या कम्बल के आसन पर बैठकर पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करके घी के दीपक के सामने इन नामों की 5/ 11/ 21 माला नौ ‍दिन करनी है और जगत माता से
अपनी मनोकामना पूर्ण करने की याचना करनी है।
दुर्गा दुर्गार्ति शमनी दुर्गापद्विनिवारिणी।
दुर्गामच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी
दुर्गम ज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला
दुर्गमा दुर्गमालोका दुर्गमात्मस्वरूपिणी
दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता
दुर्गमज्ञानसंस्थाना दुर्गमध्यानभासिनी
दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थस्वरूपिणी
दुर्गमासुरसंहन्त्री दुर्गमायुधधारिणी
दुर्गमाङ्गी दुर्गमाता दुर्गम्या दुर्गमेश्वरी
दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्लभा दुर्गधारिणी
नामावली ममायास्तु दुर्गया मम मानसः
पठेत् सर्व भयान्मुक्तो भविष्यति न संशयः
पठेत् सर्व भयान्मुक्तो भविष्यति न संशयः।
मां भगवती ने अपने ही बत्तीस नामों की माला के एक अद्भुत गोपनीय रहस्यमय किंतु चमत्कारी जप का उपदेश दिया जिसके करने से घोर से घोर विपत्ति, राज्यभय या दारुण विपत्ति से ग्रस्त मनुष्य भी भयमुक्त एवं सुखी हो जाता है।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट मौबाईल नम्बर 09359109683