बुधवार, 24 अप्रैल 2013

678 साल बाद अतिशुभ है हनुमान जयंती 25 अप्रैल 2013 को


678 साल बाद अतिशुभ है हनुमान जयंती 25 अप्रैल 2013 को..ये हम नहीं कह रहे बल्कि हनुमान जयंती पर बन रही ग्रहों की स्थिति ये बता रही है जब आपको बजरंगबली की पू4ण कृपा तो मिलेगी ही और साथ इस दिन लगने वाले चंद्र ग्रहण के कुप्रभाव से भी रक्षा करेगी अभिजीतमुहूर्त :11:59:28 - 12:50:33 अमृतकाल :11:09:29 -12:38:46  के संयोग के कारण हनुमान जयंती का आध्यात्मिक प्रभाव बढ़ जाएगा। इस दिन विशेष में की गई हनुमान आराधना रोग, शोक व दुखों को हरकर विशिष्ट फल देने वाली होगी। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य, शनि तथा राहु के दोषों के निवारण के लिए हनुमान की आराधना विशेष मानी गई है।

 ये हनुमान जयंती. तो कैसे करनी है आराधना और कैसे उठाना है इस मौके का पूरा लाभ---
-हनुमान जयंती के दिन 11 पीपल के पत्ते लें। उनको गंगाजल से अच्छी तरह धोकर लाल चंदन से हर पत्ते पर 7 बार राम लिखें। इसके बाद हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ा आएं तथा वहां प्रसाद बाटें और इस मंत्र का जाप जितना कर सकते हो करें।
'जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करो गुरु देव की नांई'
हनुमान जयंती के बाद 7 मंगलवार इस मंत्र का लगातार जप करें। प्रयोग गोपनीय रखें। आश्चर्यजनक धन लाभ होगा।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

समस्याओ से परेशान न हो ये आयेगी और चली जायेगी


में कई अच्छे लोगों/ मित्रो से भी बात नहीं कर पा रहा हुं क्याकि कुछ लोग निशुल्क परामर्श की इच्छा रखने वाले है वे अनेक बार प्रश्न करते रहते है उन सभी से निवेदन है (skype)..पर मेरे संपर्कसूत्र rkastro17 संपर्क कर सकते है। 
 मित्रो अगर आप विस्तार से जन्मपत्रिका के विषय मे बात करना चाहते है तो 2100 सौ रूपये हमारे पंजाब नैशनल बैक के साप्ताहिक शुक्र शनि खाता सख्या 2534002100356911 मे जमा कराये। अगर आप लाल किताब के आधार पर जन्मपत्रिका व वर्षफल बनवाना चाहते है और लाल किताब के उपायो को करके भाग्य मे बदलाव करना चाहते है तो सम्पर्क करे।



प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

सोमवार, 22 अप्रैल 2013

जिसने भी जप का महत्व समझ लिया


गीता के दशम अध्याय में अपनी विभूतियों का वर्णन करते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि यज्ञों में मैं जपयज्ञ हूं इसका लाभ उठाये और ग्रहण काल मे यज्ञ व जप करे 
वीर शिवाजी के गुरु रामदास को आध्यात्मिक ऊंचाइयां श्रीराम जयराम जय जय राम के जप से मिलीं, जिसे उन्होंने गोदावरी के जल में खड़े होकर तेरह करोड़ बार जपा। स्पष्ट है कि जप की महत्ता अनिर्वचनीय और लोक हितकारी है।
जिसने भी जप का महत्व समझ लिया और अपने तथा लोक के कल्याण के लिए इसका सहारा लिया उसे इसका लाभ मिलना तय है। 
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा (25 अप्रैल 2013) को हनुमान जयंती मनाई जाएगी।


चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा (25 अप्रैल 2013) को हनुमान जयंती मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार सूर्योदय : 06:01:53 सूर्यास्त :18:48:09 चंद्रोदय : 18:31:03 चंद्रास्त :नहीं है पूर्णिमांत महीना :चैत्र पक्ष :शुक्ल पक्ष तिथि :पूर्णिमा 25:27:08+ नक्षत्र : चित्रा -17:06:36 योग :वज्र 20:09:01 करण : विष्टि -14:48:39 सूर्य राशि :मेष चन्द्र राशि :तुला राहुकाल :14:00:48 -15:36:35 अभिजीतमुहूर्त :11:59:28 - 12:50:33 अमृतकाल :11:09:29 -12:38:46  के संयोग के कारण हनुमान जयंती का आध्यात्मिक प्रभाव बढ़ जाएगा। इस दिन विशेष में की गई हनुमान आराधना रोग, शोक व दुखों को हरकर विशिष्ट फल देने वाली होगी।

हनुमानजी रुद्र अवतार स्वरूप माने जाते हैं। सतयुग से कलयुग तक प्रथम चरण विशेष में हनुमानजी की आराधना सकल मनोरथ पूर्ण करने वाली हैं। धर्मशास्त्र के अनुसार रुद्र तथा रुद्र अवतार की साधना विशेष दिन करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य, शनि तथा राहु के दोषों के निवारण के लिए हनुमान की आराधना विशेष मानी गई है। ग्रहों की अनुकूलता प्राप्त करने के लिए निम्न राशि के जातक हनुमान जयंती पर इन उपायों का प्रयोग कर सकते हैं।
  1. मेष- हनुमान चालीसा का पाठ, वानरों को मीठा रोट खिलाएं।
  2. वृषभ- एकमुखी हनुमंत कवच का पाठ, हनुमान मंदिर में पीले पेड़े अर्पित करें।
  3. मिथुन- तीन मुखी हनुमान कवच, लाल रंग से मिलती रंग की गाय को हरी घास खिलाएं।
  4. कर्क- हनुमान अष्टक का पाठ, हनुमान मंदिर में ध्वज अर्पित करें।
  5. सिंह- पंचमुखी हनुमंत कवच, भिक्षुकों को भोजन कराएं।
  6. कन्या- सुंदरकांड का पाठ, हनुमान मंदिर में 11 दीपक लगाएं।
  7. तुला- हनुमंत बाहुक का पाठ, बच्चों को मिष्ठान खिलाएं।
  8. वृश्चिक- रामचरित मानस के बालकांड का पाठ, बच्चों को भोजन कराएं।
  9. धनु- अयोध्याकांड का पाठ, घर के बुजुर्गों के नाम से वृद्घाश्रम में भोजन।
  10. मकर- सुंदरकांड तथा एकमुखी हनुमंत कवच का पाठ, मछलियों को आटे की गोली डालें।
  11. कुंभ व मीन- हनुमान अष्टक व हनुमान कवच तथा सुंदरकांड का पाठ करें।
  12. ये होंगे प्रभाव :
  13. माना जाता है कि कण-कण में प्रभु श्रीराम विराजमान है, पूरी सृष्टि उनके इशारों पर चल रही है, बिना प्रभु इच्छा के एक पत्ता भी नहीं हिल सकता, आस्थावान व्यक्ति कर्म के बल पर सभी इच्छित चीजें प्राप्त कर सकता है।
हनुमान जयंती के दिन भगवान राम और उनके परम भक्त की साधना से आपके जीवन में आनेवाली हर तरह की बाधाएं दूर होकर सफलता आसानी से प्राप्त होगी। हनुमान जयंती पर पूजा-पाठ करने से मानसिक तनाव से मुक्ति, कानूनी मामलों में सफलता, भूमि-भवन का लाभ, खोई प्रतिष्ठा की प्राप्ति, क्लेश की निवृत्ति व अर्थ सिद्घि की प्राप्ति होगी।



प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

सोमवार, 15 अप्रैल 2013

25/26 अप्रैल 2013 को अर्द्ध रात्रि खग्रास चंद्रग्रहण ग्रहण का 12 राशियों पर प्रभाव


25/26 अप्रैल 2013 को अर्द्ध रात्रि खग्रास चंद्रग्रहण का 12 राशियों पर प्रभाव,देश के राजनेता और फिल्मी कलाकरो के हित में नही है ये ग्रहण तुला राशि के लोग खास ध्‍यान रखें। 

1. खग्रास चंद्रग्रहण- चैत्र शुक्ल पूर्णिमा गुरुवार दिनांक 25/26 अप्रैल 2013 को अर्द्ध रात्रि को होगा। 25 अप्रैल को चंद्र ग्रहण साल का पहला चंद्र ग्रहण 25 अप्रैल को चैत्र शुक्‍ल की पूर्णिमा के दिन पड़ेगा। यह ग्रहण स्‍वाती नक्षत्र में तुला राशि में होगा। यह भारत में 26 अप्रैल की सुबह 1 बजकर 6 मिनट पर दिखेगा। इस ग्रहण का तुला राशि के जातकों पर विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका है। लिहाजा तुला राशि के लोग खास ध्‍यान रखें। अन्‍य राशियों के जातकों पर भी इसका असर दिखाई देगा।
खण्डग्रास चंद्रग्रहण 25/26 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा के दिन मध्यरात्रि में लगेगा. यह ग्रहण भारत वर्ष के सभी भागों में दिखाई देगा. यह ग्रहण आरंभ होने से बहुत पहले ही भारत के सभी भागों में चंद्र उदय हो चुका होगा.

ग्रहण का यह समय भारतीय स्टैण्डर्ड समय के अनुसार है. ग्रहण की अवधि केवल 31मिनट तक है. ग्रासमान - 0.020 प्रतिशत है. चन्द्र मलिन आरंभ 23:32 पर आरंभ होगा. चंद्र क्रान्ति 27:43 पर निर्मल होगी. भारत में जब 25 अप्रैल की रात में 1 बजकर 22 मिनट पर चन्द्रग्रहण शुरु होगा तब उससे बहुत पहले ही संपूर्ण भारत में चंद्रमा उदय हो चुका होगा. भारत के सभी भागों में 25 अप्रैल को 5 बजे से लेकर 7 बजे तक चंद्र उदय हो जाएगा. भारत में 25 अप्रैल की रात्रि में 25:22 मिनट पर ग्रहण शुरु होगा और 25:53 मिनट पर समाप्त होगा. भारत के सभी भागों में ग्रहण का आरंभ समय, मध्य तथा मोक्ष सभी देखा जा सकता है.
भारत में केवल खण्डग्रास चंद्रग्रहण ही दृश्य होगा. यह खण्डग्रास चंद्रग्रहण स्वाती नक्षत्र तथा तुला राशि में लगेगा. इसलिए इस राशि और इस नक्षत्र में पैदा हुए जातकों को इस ग्रहण का प्रभाव देखने को मिल सकता है. इस राशि का स्वामी शुक्र है इसलिए शुक्र का जप, दान आदि करना लाभदायक हो सकता है. बाकी सभी राशियों के लिए इस खण्डग्रास चंद्रग्रहण का प्रभाव निम्न है -
मेष राशि
मेष राशि वाले व्यक्तियों के लिए यह ग्रहण उनके सप्तम भाव में लगेगा. इसलिए जीवनसाथी से संबंधित परेशानी हो सकती हैं या जीवनसाथी को शारीरिक कष्ट भी हो सकता है.दैनिक व्यापार को भी झटका लग सकता है।
वृष राशि
वृष राशि वाले व्यक्तियों की कुण्डली में यह ग्रहण छठे भाव में घटित होगा. इसलिए आपको रोग आदि घेरे रह सकते हैं. आपको गुप्त चिन्ताएँ भी सता सकती हैं.परेशान न हो शत्रुअो का दमन होगा।
मिथुन राशि
आपकी राशि से यह ग्रहण पांचवें भाव में लग रहा है. आपके खर्चे अधिक होगें और आमदनी कम हो सकती है. आपके कार्य विलम्ब से बन सकते हैं. इसलिए मन खिन्न रह सकता है.सन्नतान पक्ष को सम्भाले कोई घटना घट सकती है
कर्क राशि
आपकी राशि से यह ग्रहण चतुर्थ भाव में घटित होगा. आपके रुके हुए कार्य बन सकते हैं. कार्य सिद्धि की संभावना बनती है.जमीन आदि मे व्यय शुभ के लिये होगा।
सिंह राशि
आपकी जन्म राशि सिंह है और सिंह राशि से तीसरे भाव में ग्रहण लग रहा है. इस समय आपके प्रयास दोगुने हो सकते हैं और आपको उनका अनुकूल फल भी मिल सकता है. धन लाभ की भी संभावना बनती है.छोटे भाई यो के साथ स्नेह बनाये रखे।
कन्या राशि
आपकी कन्या राशि से दूसरे भाव में यह ग्रहण लगेगा. इस ग्रहण के प्रभावस्वरुप आपको कुटुम्ब संबंधी परेशानियो का सामना करना पड़ सकता है. आपको धन हानि हो सकती है. आप यात्राओं पर जा सकते हैं.
तुला राशि
तुला राशि में ही यह ग्रहण घटित हो रहा है. इस ग्रहण के प्रभाव से आपको शारीरिक कष्ट हो सकते हैं. दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है. मानसिक चिन्ताएँ घेर सकती हैं.राज काज कि परेशनिया होगी
वृश्चिक राशि
इस राशि से बारहवें भाव में ग्रहण लगेगा. इस ग्रहण के प्रभाव से आपके खर्चे बने रह सकते हैं. आपके अपव्यय हो सकते हैं अथवा धन हानि उठानी पड़ सकती है. विवादो से बचे जेल कि घटना न बन जायें
धनु राशि
आपकी जन्म राशि से एकादश भाव में यह खग्रास चंद्रग्रहण लग रहा है. आपकी उन्नति के योग बनते हैं और आपको लाभ आदि मिलने की भी संभावना बनती है.
मकर राशि
आपकी जन्म राशि मकर से यह ग्रहण दशम भाव में घटित हो रहा है. आपको रोग सता सकते हैं. आपको अकारण कष्ट घेर सकते हैं. आप बिना कारण बहय से ग्रस्त हो सकते हैं. व्यवसायिक क्षेत्र में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है.
कुंभ राशि
कुंभ राशि से यह ग्रहण नवम भाव में घटित हो रहा है. आपका भाग्य आपका साथ देने में कंजूसी कर सकता है. आपको चिन्ताएँ बनी रह सकती है. संतान पक्ष की ओर से भी मन असंतुष्ट हो सकता है अथवा संतान को कष्ट हो सकता है.
मीन राशि
आपकी मीन राशि से यह ग्रहण अष्टम भाव में लग रहा है. आपको शत्रुभय सता सकता है. आपको लाभ भी प्राप्त होने की संभावना बनती है. आपको यह लाभ उम्मीद से कुछ कम हो सकता है.


मित्रो अगर आप विस्तार से जन्मपत्रिका के विषय मे बात करना चाहते है तो 2100 सौ रूपये हमारे पंजाब नैशनल बैक के साप्ताहिक शुक्र शनि खाता सख्या 2534002100356911 मे जमा कराये। अगर आप लाल किताब के आधार पर जन्मपत्रिका व वर्षफल बनवाना चाहते है और लाल किताब के उपायो को करके भाग्य मे बदलाव करना चाहते है तो सम्पर्क करे।मो नम्बर 09359109683 पर बात करे या तो विस्तार से बात हो जायेगी।
आपकी जन्मतिथि जन्म समय और स्थान बताये


प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

सुंदर पति या पत्नी की प्राप्ति के लिए, प्रेम विवाह, शीघ्र विवाह, प्रेम में सफलता के लिए

सुंदर पति या पत्नी की प्राप्ति के लिए, प्रेम विवाह, शीघ्र विवाह, प्रेम में सफलता के लिए भैरवी देवी साधना करनी चाहिए।माता भैरवी साधना से जहां प्रेत बाधा से मुक्ति प्राप्ति होती है, वही शारीरिक दुर्बलता भी समाप्त होती है, असाध्य और दुष्कर से दुष्कर कार्य भी पूर्ण हो जाते है।

मंत्र-ऊँ ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहाः देवी धूमावती महाविद्या हर प्रकार की दरिद्रता के नाश के लिए, तंत्र-मंत्र के लिए, जादू-टोना, बुरी नजर और भूत-प्रेत आदि समस्त भयों से मुक्ति के लिए, सभी रोगों के लिए, अभय प्राप्ति के लिए, साधना में रक्षा के लिए, जीवन में आने वाले हर प्रकार के दुःखों का निदान करने वाली देवी है। आये दिन और नित्य प्रति ही यदि कोई रोग लगा रहता हो या शारीरिक अस्वस्थता निरंतर बनी ही रहती हो, तो वह भी दूर होने लग जाती है। उसकी आखों में प्रबल तेज व्याप्त हो जाता है,

प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

रविवार, 14 अप्रैल 2013

जीवन में सरसता, आनंद, भोग-विलास, प्रेम, सुयोग्य पति-पत्नी प्राप्ति के लिए मातंगी साधना अत्यंत उपयुक्त


जीवन में सरसता, आनंद, भोग-विलास, प्रेम, सुयोग्य पति-पत्नी प्राप्ति के लिए मातंगी साधना अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है। मंत्र-ऊँ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहाः देवी कमला महाविद्या इस संसार में जितनी भी सुदंर लड़किया हैं, सुंदर वस्तु, पुष्प आदि हैं, ये सब कमला महाविद्या का ही सौंदर्य है
 हर प्रकार की साधना में रिद्धि-सिद्धि दिलाने वाली, अखंड धन धान्य प्राप्ति, ऋण का नाश और महालक्ष्मी जी की कृपा के लिए कमल पर विराजमान देवी कमला की साधना करें। प्रत्येक महाविद्या साधना अपने आप में ही अद्वितीय है। साधक अपने पूर्व जन्म के संस्कारों से प्रेरित होकर या गुरुदेव से निर्देश प्राप्त कर इनमें से कोई भी साधना कर सकते हैं।

एक महाविद्या की साधना सफल हो जाने पर ही साधक के लिए सिद्धियों का द्वार खुल जाता है और वह एक-एक करके सभी साधनाओं में सफल होता हुआ पूर्णता की ओर अग्रसर हो जाता है। मंत्र-ऊँ ह्रीं अष्ट महालक्ष्म्यै नमः। नवरात्रों में महाविद्या की उपासना शीघ्र फलदायी है। अतः इन दिनों में इच्छित महाविद्या का सवा लाख मंत्र जप व दशांश का हवन करने से इच्छित फल प्राप्त होता है।

मित्रो अगर आप विस्तार से जन्मपत्रिका के विषय मे बात करना चाहते है तो 2100 सौ रूपये हमारे पंजाब नैशनल बैक के साप्ताहिक शुक्र शनि खाता सख्या 2534002100356911 मे जमा कराये। अगर आप लाल किताब के आधार पर जन्मपत्रिका व वर्षफल बनवाना चाहते है और लाल किताब के उपायो को करके भाग्य मे बदलाव करना चाहते है तो सम्पर्क करे।मो नम्बर 09359109683 पर बात करे या तो विस्तार से बात हो जायेगी।
आपकी जन्मतिथि जन्म समय और स्थान बताये 

शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

साबूदाना किसी पेड़ पर नहीं ऊगता व्रत, उपवास में इसका काफी प्रयोग होता है

क्या आप जानते हैं साबूदाने की असलियत को ??
इस चमक के पीछे कितनी अपवित्रता छिपी है वह सभी को दिखायी नहीं देती। इस का अवलोकन करे।
 

आमतौर पर साबूदाना शाकाहार कहा जाता है और व्रत, उपवास में इसका काफी प्रयोग होता है। लेकिन शाकाहार होने के बावजूद भी साबूदाना पवित्र नहीं है। क्या आप इस सच्चाई को जानते हैं ?साबूदाना किसी पेड़ पर नहीं ऊगता । यह कासावा या टैपियोका नामक कन्द से बनाया जाता है । कासावा वैसे तो दक्षिण अमेरिकी पौधा है लेकिन अब भारत में यह तमिलनाडु,केरल, आन्ध्रप्रदेश और कर्नाटक में भी उगाया जाता है । केरल में इस पौधे को “कप्पा” कहा जाता है । इसकी जड को काट कर इसे बनाया जाता है जो शकरकंदी की तरह होती है इस कन्द में भरपूर स्टार्च होता है । यह सच है कि साबूदाना (Tapioca) कसावा के गूदे से बनाया जाता है परंतु इसकी निर्माण विधि इतनी अपवित्र है कि इसे शाकाहार एवं स्वास्थ्यप्रद नहीं कहा जा सकता।
साबूदाना बनाने के लिए सबसे पहले कसावा को खुले मैदान में बनी बडी बडी कुण्डियों में डाला जाता है तथा पानी डाल कर रखा जाता है और रसायनों की सहायता से उन्हें लम्बे समय तक गलाया, सड़ाया जाता है। इस प्रकार सड़ने से तैयार हुआ गूदा महीनों तक खुले आसमान के नीचे पड़ा रहता है। रात में कुण्डियों को गर्मी देने के लिए उनके आस-पास बड़े-बड़े बल्ब जलाये जाते हैं। इससे बल्ब के आस-पास उड़ने वाले कई छोटे मोटे जहरीले जीव भी इन कुण्डियों में गिर कर मर जाते हैं।
दूसरी ओर इस गूदे में पानी डाला जाता है जिससे उसमें सफेद रंग के करोड़ों लम्बे कृमि पैदा हो जाते हैं। इसके बाद इस गूदे को मजदूरों के पैरों तले रौंदा जाता है या आज कल कई जगह मशीनों से भी मसला जाता है इस प्रक्रिया में गूदे में गिरे हुए कीट पतंग तथा सफेद कृमि भी उसी में समा जाते हैं। यह प्रक्रिया कई बार दोहरायी जाती है। और फिर उनमें से प्राप्त स्टार्च को धूप में सुखाया जाता है । जब यह पदार्थ लेईनुमा हो जाता है तो मशीनों की सहायता से इसे छन्नियों पर डालकर गोलियाँ बनाई जाती हैं ,ठीक उसी तरह जैसे की बून्दी छानी जाती है ।
इन गोलियों को फिर नारियल का तेल लगी कढ़ाही में भूना जाता है और अंत में गर्म हवा से सुखाया जाता है । और मोती जैसे चमकीले दाने बनाकर साबूदाने का नाम रूप दिया जाता है
बस साबूदाना तैयार । फिर इन्हे आकार ,चमक, सफेदी के आधार पर अलग अलग छाँट लिया जाता है और बाज़ार में पहुंचा दिया जाता है । परंतु इस चमक के पीछे कितनी अपवित्रता छिपी है वह सभी को दिखायी नहीं देती।

तो चलिये उपवास के दिनों में ( उपवास करें न करें यह अलग बात हैं ) साबूदाने की स्वादिष्ट खिचड़ी ,या खीर या बर्फी खाते हुए साबूदाने की निर्माण प्रक्रिया को याद कीजिये साबूदाना एक खाद्य पदार्थ है। यह छोटे-छोटे मोती की तरह सफ़ेद और गोल होते हैं। यह सैगो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे से बनता है। सागो, ताड़ की तरह का एक पौधा होता है। ये मूलरूप से पूर्वी अफ़्रीका का पौधा है । पकने के बाद यह अपादर्शी से हल्का पारदर्शी, नर्म और स्पंजी हो जाता है।
भारत में इसका उपयोग अधिकतर पापड़, खीर और खिचड़ी बनाने में होता है। सूप और अन्य चीज़ों को गाढ़ा करने के लिये भी इसका उपयोग होता है।

भारत में साबूदाने का उत्पादन सबसे पहले तमिलनाडु के सेलम में हुआ था। लगभग १९४३-४४ में भारत में इसका उत्पादन एक कुटीर उद्योग के रूप में हुआ था। इसमें पहले टैपियाका की जड़ों को मसल कर उसके दूध को छानकर उसे जमने देते थे। फिर उसकी छोटी छोटी गोलियां बनाकर सेंक लेते थे।
टैपियाका के उत्पादन में भारत अग्रिम देशों में है। लगभग ७०० इकाइयाँ सेलम में स्थित हैं। साबूदाना में कार्बोहाइड्रेट की प्रमुखता होती है और इसमें कुछ मात्रा में कैल्शियम व विटामिन सी भी होता है।
साबूदाना की कई किस्में बाजार में उपलब्ध हैं उनके बनाने की गुणवत्ता अलग होने पर उनके नाम बदल और गुण बदल जाते हैं अन्यथा ये एक ही प्रकार का होता है , आरारोट भी इसी का एक उत्पाद है ।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683