सोमवार, 14 अक्तूबर 2013

स्त्री की पुत्र प्राप्ति की अभिलाषा अवश्य पूर्ण 26 - 27 अक्टूबर 2013 को

26-27 अक्टूबर 2013 को तथा 23 नवम्बर 2013 को पुष्य नक्षत्र है 26 अक्टूबर 2013 को दोपहर 2.58 से 27 अक्टूबर 2013 को शाम 5.30 बजे तक।  22 को नवम्बर 2013 रात 10.2 से 23 नवम्बर 2013 की रात 12.35 बजे तक पुष्य नक्षत्र में असगन्ध की जड़ को उखाड़कर गाय के दूध के साथ सिल पर पीसकर पीने से दूध का आहार, ऋतुकाल के उपरांत शुद्ध होने पर पीते रहने से, स्त्री की पुत्र प्राप्ति की अभिलाषा अवश्य पूर्ण हो जाती हैं | 


पुष्य नक्षत्र के पहले चरण के मालिक शनि-सूर्य हैं,जो कि जातक को मानसिक रूप से अस्थिर बनाते हैं,और जातक में अहम की भावना बढाते हैं,कार्य पिता के साथ होने से जातक को अपने आप कार्यों के प्रति स्वतन्त्रता नही मिलने से उसे लगता रहता है,पुष्य नक्षत्र के प्रथम चरण का अक्षर 'हू' है
पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण के मालिक शनि-बुध हैं,शनि कार्य और बुध बुद्धि का ग्रह है,दोनो मिलकर कार्य करने के प्रति बुद्धि को प्रदान करने के बाद जातक को होशियार बना देते है,जातक मे भावनात्मक पहलू खत्म सा हो जाता है और गम्भीरता का राज हो जाता है.द्वितीय चरण का अक्षर 'हे' है
तीसरे चरण के मालिक ग्रह शनि-शुक्र हैं,शनि जातक के पास धन और जायदाद देता है,तो शुक्र उसे सजाने संवारने की कला देता है.शनि अधिक वासना देता है,तो शुक्र भोगों की तरफ़ जाता है.तृ्तीय चरण का अक्षर 'हो' है.
चौथे चरण के मालिक शनि-मंगल है,जो जातक में जायदाद और कार्यों के प्रति टेकनीकल रूप से बनाने और किराये आदि के द्वारा धन दिलवाने की कोशिश करते हैं,शनि दवाई और मंगल डाक्टर का रूप बनाकर चिकित्सा के क्षेत्र में जातक को ले जाते हैं.चतुर्थ चरण का अक्षर 'ड' है. पुष्य नक्षत्र की योनि मेष है. पुष्य नक्षत्र को ऋषि मरीचि का वंशज माना गया है.
पुष्य को ऋग्वेद में तिष्य अर्थात शुभ या माँगलिक तारा भी कहते हैं विद्वान इस नक्षत्र को बहुत शुभ और कल्याणकारी मानते हैं. विद्वान इस नक्षत्र का प्रतीक चिह्न गाय का थन मानते हैं. उनके विचार से गाय का दूध पृ्थ्वी लोक का अमृ्त है. पुष्य नक्षत्र गाय के थन से निकले ताजे दूध सरीखा पोषणकारी, लाभप्रद व देह और मन को प्रसन्नता देने वाला होता है. 
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र मौबाईल नम्बर 09359109683

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