रविवार, 30 जून 2013

आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि की महिमा

आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का समय शाक्य एवं शैव धर्मावलंबियों के लिए पैशाचिक, वामाचारी क्रियाओं के लिए अधिक शुभ एवं उपयुक्त होता है।

 इसमें प्रलय एवं संहार के देवता महाकाल एवं महाकाली की पूजा की जाती है। लंकापति रावन का पुत्र मेघनाद अतुलनीय शक्तियां प्राप्त करना चाहता था ताकि कोई उसे जीत ना सके….तो मेघनाद ने अपने गुरु शुक्राचार्य से परामश किया तो शुक्राचार्य ने गुप्त नवरात्रों में अपनी कुल देवी निकुम्बाला कि साधना करने को कहा,मेघनाद ने ऐसा ही किया और शक्तियां हासिल की,राम राबण युद्ध के समय केवल मेघनाद ने ही राम भगवान् सहित लक्षण जी को नागपाश मेमन बाँध कर मृत्यु के द्वार तक पअहुंचा दिया था,ये भी कहा जाता है की यदि नास्तिक की परिहास्वश इन समय मंत्र साधना कर ले तो भी उसे फल मिल ही जाता है,यही इस गुप्त नवरात्र की महिमा है,
अगर आप लाल किताब के आधार पर जन्मपत्रिका व वर्षफल बनवाना चाहते है 5 वर्ष के भविष्य फल के साथ और लाल किताब के उपायो को करना और लाभ उठाने के इच्छुक है तो 2100 सौ रूपये हमारे पंजाब नैशनल बैक के साप्ताहिक शुक्र शनि खाता सख्या 2534002100356911 मे जमा कराये। सम्पर्क करे -----मो नम्बर 09359109683 पर बात करे या तो विस्तार से बात हो जायेगी।

शनिवार, 29 जून 2013

नवां भाव या नवें भाव का मालिक राहु या केतु से ग्रसित है तो यह सौ प्रतिशत पितृदोष

अमावस्या के दिन व्यक्ति अपने पितरों को याद करते हैं और श्रद्धा भाव से उनका श्राद्ध भी करते हैं. अपने पितरों की शांति के लिए हवन आदि कराते हैं. ब्राह्मण को भोजन कराते हैं और साथ ही दान-दक्षिणा भी देते हैं. शास्त्रों के अनुसार इस तिथि के स्वामी पितृदेव हैं. पितरों की तृप्ति के लिए इस तिथि का अत्यधिक महत्व है.
वर्ष 2013 में अमावस्या तिथियाँ 
8 जुलाई सोमवार आषाढ़ - सोमवती अमावस्या
6 अगस्त मंगलवार श्रावण - भौमवती अमावस्या
5 सितंबर गुरूवार भाद्रपद अमावस
4 अक्तूबर शुक्रवार आश्विन अमावस्या
3 नवम्बर रविवार कार्तिक अमावस्या
2 दिसम्बर सोमवार मार्गशीर्ष - सोमवती अमावस
 शास्त्रों के अनुसार देवों से पहले पितरों को प्रसन्न करना चाहिए. जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृ दोष हो, संतान हीन योग बन रहा हो या फिर नवम भाव में राहू नीच के होकर स्थित हो, उन व्यक्तियों को यह उपवास अवश्य रखना चाहिए. इस उपवास को करने से मनोवांछित उद्देश्य़ की प्राप्ति होती है. विष्णु पुराण के अनुसार श्रद्धा भाव से अमावस्या का उपवास रखने से पितृ्गण ही तृप्त नहीं होते, अपितु ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, अष्टवसु, वायु, विश्वेदेव, ऋषि, मनुष्य, पशु-पक्षी और सरीसृप आदि समस्त भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते है.
पितृ दोष के लिये उपाय" सोमवती अमावस्या को (जिस अमावस्या को सोमवार हो) पास के पीपल के पेड के पास जाइये,उस पीपल के पेड को एक जनेऊ दीजिये और एक जनेऊ भगवान विष्णु के नाम का उसी पीपल को दीजिये,पीपल के पेड की और भगवान विष्णु की प्रार्थना कीजिये,और एक सौ आठ परिक्रमा उस पीपल के पेड की दीजिये,हर परिक्रमा के बाद एक मिठाई जो भी आपके स्वच्छ रूप से हो पीपल को अर्पित कीजिये। परिक्रमा करते वक्त :ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करते जाइये। परिक्रमा पूरी करने के बाद फ़िर से पीपल के पेड और भगवान विष्णु के लिये प्रार्थना कीजिये और जो भी जाने अन्जाने में अपराध हुये है उनके लिये क्षमा मांगिये। सोमवती अमावस्या की पूजा से बहुत जल्दी ही उत्तम फ़लों की प्राप्ति होने लगती है।
एक और उपाय है कौओं और मछलियों को चावल और घी मिलाकर बनाये गये लड्डू हर शनिवार को दीजिये। पितर दोष किसी भी प्रकार की सिद्धि को नहीं आने देता है। सफ़लता कोशों दूर रहती है और व्यक्ति केवल भटकाव की तरफ़ ही जाता रहता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति माता काली का उपासक है तो किसी भी प्रकार का दोष उसकी जिन्दगी से दूर रहता है। लेकिन पितर जो कि व्यक्ति की अनदेखी के कारण या अधिक आधुनिकता के प्रभाव के कारण पिशाच योनि मे चले जाते है,वे देखी रहते है,उनके दुखी रहने का कारण मुख्य यह माना जाता है कि उनके ही खून के होनहार उन्हे भूल गये है और उनकी उनके ही खून के द्वारा मान्यता नहीं दी जाती है। पितर दोष हर व्यक्ति को परेशान कर सकता है इसलिये निवारण बहुत जरूरी है।
नवम पर जब सूर्य और राहू की युति हो रही हो तो यह माना जाता है कि पितृ दोष योग बन रहा है . शास्त्र के अनुसार सूर्य तथा राहू जिस भी भाव में बैठते है, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते है . व्यक्ति की कुण्डली में एक ऎसा दोष है जो इन सब दु:खों को एक साथ देने की क्षमता रखता है, इस दोष को पितृ दोष के नाम से जाना जाता है .
कुन्डली का नवां घर धर्म का घर कहा जाता है,यह पिता का घर भी होता है,अगर किसी प्रकार से नवां घर खराब ग्रहों से ग्रसित होता है तो सूचित करता है कि पूर्वजों की इच्छायें अधूरी रह गयीं थी,जो प्राकृतिक रूप से खराब ग्रह होते है वे सूर्य मंगल शनि कहे जाते है और कुछ लगनों में अपना काम करते हैं,लेकिन राहु और केतु सभी लगनों में अपना दुष्प्रभाव देते हैं, नवां भाव,नवें भाव का मालिक ग्रह,नवां भाव चन्द्र राशि से और चन्द्र राशि से नवें भाव का मालिक अगर राहु या केतु से ग्रसित है तो यह पितृ दोष कहा जाता है। इस प्रकार का जातक हमेशा किसी न किसी प्रकार की टेंसन में रहता है,उसकी शिक्षा पूरी नही हो पाती है,वह जीविका के लिये तरसता रहता है,वह किसी न किसी प्रकार से दिमागी या शारीरिक रूप से अपंग होता है।
अगर किसी भी तरह से नवां भाव या नवें भाव का मालिक राहु या केतु से ग्रसित है तो यह सौ प्रतिशत पितृदोष के कारणों में आजाता है।
अगर आप लाल किताब के आधार पर जन्मपत्रिका व वर्षफल बनवाना चाहते है और लाल किताब के उपायो को करना और लाभ उठाने के इच्छुक है तो 2100 सौ रूपये हमारे पंजाब नैशनल बैक के साप्ताहिक शुक्र शनि खाता सख्या 2534002100356911 मे जमा कराये। सम्पर्क करे 
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

बुधवार, 19 जून 2013

मांगलिक कार्य या शुभ कार्य से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ मुहूर्त में कार्य करने से निश्चित ही सफलता प्राप्त होती है।

किसी भी मांगलिक कार्य या शुभ कार्य से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ मुहूर्त में कार्य करने से निश्चित ही सफलता प्राप्त होती है। शुभ मुहूर्त के समय सभी ग्रह-नक्षत्र ऐसी स्थिति में होते हैं कि उनसे हमारे कार्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता और बिना किसी विलंब
या रुकावट कार्य पूर्ण हो जाता है।दिन में कई शुभ-अशुभ मुहूर्त होते हैं। जिनकी जानकारी ज्योतिष शास्त्र से प्राप्त होती है। हर मुहूर्त का अलग समय होता है परंतु दिन में एक मुहूर्त ऐसा है जिसमें कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। यह मुहूर्त प्रतिदिन एक निश्चित समय पर रहता है। इसे अभिजीत मुहूर्त कहा जाता है।
30 मुहूर्त होते हैं एक दिन में: ज्योतिष शास्त्र में दिन और रात के कुल 30 मुहूर्त बताए गए हैं। 15 मुहूर्त दिन में और 15 ही रात में होते हैं। ज्योतिषीय गणित दिनमान के अनुसार दिन को बराबर 15 भागों में बांटने पर 1 मुहूर्त का समय निकलता है। एक मुहूर्त 48 मिनट 24 सेकंड का होता है। परन्तु ज्योतिष विद्वानों ने अभिजीत मुहूर्त का समय 39 मिनट माना है। कुछ विद्वानों ने इस अभिजीत मुहूर्त को विजय मुहूर्त भी कहा है। यह दिन का आठवां मुहूर्त होता है।
कब बनता है अभिजित मुहूर्त: नारद पुराण के अनुसार सूर्य जब ठीक सिर पर हो मतबल दिन के समय 11:36 बजे से 12:15 बजे तक के समय को अभिजीत मुहूर्त या विजय मुहूर्त कहा जाता है। कुछ जानकारों ने सूर्योदय के बाद चतुर्थ लग्र को अभिजीत मुहूर्त या अभिजीत लग्र माना है। इस मुहूर्त में किए गए कार्य हमेशा सफल होते है। चाहे कितने भी दोष क्यों न हो, यह सारे दोषों को खत्म कर देता है। 
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

मंगलवार, 18 जून 2013

हनुमान प्रश्नावली चक्र: हर व्यक्ति के मन में अपने भविष्य के प्रति कई प्रश्न होते हैं

हनुमान प्रश्नावली चक्र:
हर व्यक्ति के मन में अपने भविष्य के प्रति कई प्रश्न होते हैं। वह हमेशा उन प्रश्नों के उत्तर की खोज में लगा रहता है लेकिन उन प्रश्नों का उत्तर मिलना बहुत कठिन होता है। ऐसे में हनुमान ज्योतिष के माध्यम से हर प्रश्न का उत्तर आसानी से जाना जा सकता है। इस आर्टिकल के साथ हनुमान प्रश्नावली चक्र प्रकाशित किया जा रहा है। इसमें आपके हर प्रश्न का उत्तर छिपा है।


उपयोग विधि
जिसे भी अपने प्रश्नों का उत्तर चाहिए वे स्नान आदि कर साफ वस्त्र धारण करे और पांच बार ऊँ रां रामाय नम:मंत्र का जप करने के बाद 11 बार ऊँ हनुमते नम:मंत्र का जप करे। इसके बाद आंखें बंद हनुमानजी का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र पर कर्सर घुमाते हुए रोक दें।
 जिस कोष्ठक(खाने) पर कर्सर रुके, उस कोष्ठक में लिखे अंक को देखकर अपने प्रश्न का उत्तर देखें। कोष्ठकों के अंकों के अनुसार फलादेश
1- आपका कार्य शीघ्र पूरा होगा।
2- आपके कार्य में समय लेगगा। मंगलवार का व्रत करें।
3- प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें तो कार्य शीघ्र पूरा होगा।
4- कार्य पूर्ण नहीं होगा।
5- कार्य शीघ्र होगा, किंतु अन्य व्यक्ति की सहायता लेनी पड़ेगी।
6- कोई व्यक्ति आपके कार्यों में रोड़े अटका रहा है, बजरंग बाण का पाठ करें।
7- आपके कार्य में किसी स्त्री की सहायता अपेक्षित है।
8- आपका कार्य नहीं होगा, कोई अन्य कार्य करें।
9- कार्यसिद्धि के लिए यात्रा करनी पड़ेगी।
10- मंगलवार का व्रत रखें और हनुमानजी को चोला चढ़ाएं, तो मनोकामना पूर्ण होगी।
11- आपकी मनोकामना शीघ्र पूरी होगी। सुंदरकांड का पाठ करें।
12- आपके शत्रु बहुत हैं। कार्य नहीं होने देंगे।
13- पीपल के वृक्ष की पूजा करें। एक माह बाद कार्य सिद्ध होगा।
14- आपको शीघ्र लाभ होने वाला है। मंगलवार को गाय को गुड़-चना खिलाएं।
15- शरीर स्वस्थ रहेगा, चिंताएं दूर होंगी।
16- परिवार में वृद्धि होगी। माता-पिता की सेवा करें और रामचरितमानस के बालकाण्ड का पाठ करें।
17- कुछ दिन चिंता रहेगी। ऊँ हनुमते नम: मंत्र की प्रतिदिन एक माला का जप करें।
18- हनुमानजी के पूजन एवं दर्शन से मनोकामना पूर्ण होगी।
19- आपको व्यवसाय द्वारा लाभ होगा। दक्षिण दिशा में व्यापारिक संबंध बढ़ाएं।
20- ऋण से छुटकारा, धन की प्राप्ति तथा सुख की उपलब्धि शीघ्र होने वाली है। हनुमान चालीसा का पाठ करें।
21- श्रीरामचंद्रजी की कृपा से धन मिलेगा। श्रीसीताराम के नाम की पांच माला रोज करें।
22- अभी कठिनाइयों का सामाना करना पड़ेगा पर अंत में विजय आपकी होगी।
23- आपके दिन ठीक नहीं है। रोजाना हनुमानजी का पूजन करें। मंगलवार को चोला चढ़ाएं। संकटों से मुक्ति मिलेगी।
24- आपके घर वाले ही विरोध में हैं। उन्हें अनुकूल बनाने के लिए पूर्णिमा का व्रत करें।
25- आपको शीघ्र शुभ समाचार मिलेगा।
26- हर काम सोच-समझकर करें।
27- स्त्री पक्ष से आपको लाभ होगा। दुर्गासप्तशती का पाठ करें।
28- अभी कुछ महीनों तक परेशानी है।
29- अभी आपके कार्य की सिद्धि में विलंब है।
30- आपके मित्र ही आपको धोखा देंगे। सोमवार का व्रत करें।
31- संतान का सुख प्राप्त होगा। शिव की आराधना करें व शिवमहिम्नस्तोत्र का पाठ करें।
32- आपके दुश्मन आपको परेशान कर रहे हैं। रोज पार्थिव शिवलिंग का पूजन कर शिव ताण्डवस्तोत्र का पाठ करें। सोमवार को ब्राह्मण को भोजन कराएं।
33- कोई स्त्री आपको धोखा देना चाहती है, सावधान रहें।
34- आपके भाई-बंधु विरोध कर रहे हैं। गुरुवार को व्रत रखें।
35- नौकरी से आपको लाभ होगा। पदोन्नति संभव है, पूर्णिमा को व्रत रख कथा कराएं।
36- आपके लिए यात्रा शुभदायक रहेगी। आपके अच्छे दिन आ गए हैं।
37- पुत्र आपकी चिंता का कारण बनेगा। रोज राम नाम की पांच माला का जप करें।
38- आपको अभी कुछ दिन और परेशानी रहेगी। यथाशक्ति दान-पुण्य और कीर्तन करें।
39- आपको राजकार्य और मुकद्मे में सफलता मिलेगी। श्रीसीताराम का पूजन करने से लाभ मिलेगा।
40- अतिशीघ्र आपको यश प्राप्त होगा। हनुमानजी की उपासना करें और रामनाम का जप करें।
41- आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।
42- समय अभी अच्छा नहीं है।
43- आपको आर्थिक कष्ट का सामना करना पड़ेगा।
44- आपको धन की प्राप्ति होगी।
45- दाम्पत्य सुख मिलेगा।
46- संतान सुख की प्राप्ति होने वाली है।
47- अभी दुर्भाग्य समाप्त नहीं हुआ है। विदेश यात्रा से अवश्य लाभ होगा।
48- आपका अच्छा समय आने वाला है। सामाजिक और व्यवसायिक क्षेत्र में लाभ मिलेगा।
49- आपका समय बहुत अच्छा आ रहा है। आपकी प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होगी।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

सोमवार, 17 जून 2013

कोर्ट कचेहरी में हमेशा धन का नाश होता है। Court Kcehri money perish forever.

आर्थिक समृद्धि नहीं होने पर :-
हमेशा घर मे कलह होता है। घर में सदस्यों में आपस में बनती नहीं है।
कोर्ट कचेहरी में हमेशा धन का नाश होता है। या किसी ने आपसे कहा है आपके घर में वास्तु दोष है और इस कारक आपके घर में सुख-समृद्धि नहीं होती है तो इस प्रयोग को अवश्य अपनाना चाहिए। यह अद्भुत प्रयोग है इस प्रयोग को करने वाला व्यक्ति सदाचारी और धर्म की डगर में चलने वाला होना चाहिए तो यह प्रयोग और अधिक जल्दी फायदा देगा। एक छोटी सी चांदी की ढक्कन वाली लुटिया ले लें। उसमें गंगा जल से भरकर सात गोमती चक्र डालें।  लुटिया के गर्दन में छेद वाली कौड़ी कलावे में बांधकर  बांध दें। उसके बाद ढक्कन लगा दें और इसे घर मे उत्तरपूर्व (North East) दिशा में स्थापित कर लें। घर में सुख शांति होगी धन लाभ होगा। और कारोबारी सारी समस्याओं का निवारण हो जायेगा। शनि अमावस्या के दिन लुटिया के अंदर डाली गयी सामग्री को बहते जल में प्रवाहित कर दें और नई सामग्री डाल दें।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

बुधवार, 12 जून 2013

अमित शाह पहली बार लखनऊ आये और वह भी काल कि चौघडियां में

गुजरात चुनाव में नरेन्द्र मोदी की शानदार जीत का श्रेय अमित शाह


 को ही दिया जाता है. अमित शाह 12 जून 2013 को  सुबह करीब 10 बजे उत्तर प्रदेश कि राजधानी के अमौसी एयरपोर्ट पर उतरे. यहीं से उनके भव्य स्वागत का सिलसिला शुरू हुआ. परन्तु बडे मजेदार बात ये है कि अमित शाह ने लखनऊ कि जमीन पर जब पदारपर्ण्ण किया वह घडी (दिन कि चौघडिया) के हिसाब से काल कि चौघडियां का समय था। यूपी के प्रभारी के तौर पर अमित शाह पहली बार लखनऊ आये और वह भी काल कि चौघडियां में अब देखना ये है कि काल कि चौघडियां अपना रगं दिखायेगी या अमित शाह 
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

एक दिन पूरी दुनिया कहेगी जो बात हिन्दी में है, वो किसी और में नहीं ।

हिन्दी भाषा 'इंडो यूरोपियन' परिवार से संबंध रखती है। - इस भाषा के उद्गम का महाद्वीप 'एशिया' व देश 'भारत' है। -
भारत देश में हिन्दी भाषा को अधिकृत रुप से उपयोग किया जाता है। - 366,000,000 लोगों के लिए यह भाषा 'मातृभाषा' है वहीं इस भाषा को कुल 487,000,000 लोग उपयोग करते हैं। - हिन्दी की वर्णमाला में 11 स्वर व 33 समस्वर हैं। - हिन्दी की देवनागरी लिपि को प्राचीन ब्राह्मी से लिया गया है - हिन्दी की ढेरों बोलियाँ है जिसमें निमाड़ी, बुंदेलखंडी, खड़ीबोली आदि शामिल है। - 80 हिन्दी स्कूल अमेरिका मे और 95 हिन्दी स्कूल कनाडा में हैं । - 24 विश्वविद्यालय मौरीशस में हैं । - लगभग ९५ हिन्दी शिक्षण संस्थायें औस्ट्रेलिया मे हैं । - वर्तमान में हिन्दी साउथ एशिया (भारत, पाकिस्तान, नेपाल व भूटान), साउथ अफ्रीका, मॉरीशस, यूएसए, कनाडा, फिजी, युगांडा, गुएना, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, न्यूजीलेंड, सिंगापुर जैसे देशों में भी व्यापक स्तर पर बोली जा रही है। आओ हम सब अपनी हिन्दी का मान बढायें । इस हिन्दी रूपी सूत्र में बंध कर एक हो जायें । और अपनी हिन्दी को विश्व मंच पर सम्मान दिलायें । आज सिर्फ हम कह रहे हैं, पर हम प्रयास करेंगे तो एक दिन पूरी दुनिया कहेगी जो बात हिन्दी में है, वो किसी और में नहीं । जय हिन्द ।
क्या आप जानते हैं -
-हिन्दी भाषा 'इंडो यूरोपियन' परिवार से संबंध रखती है।
- इस भाषा के उद्गम का महाद्वीप 'एशिया' व देश 'भारत' है।
- भारत देश में हिन्दी भाषा को अधिकृत रुप से उपयोग किया जाता है।
- 366,000,000 लोगों के लिए यह भाषा 'मातृभाषा' है वहीं इस भाषा को कुल 487,000,000 लोग उपयोग करते हैं।
- हिन्दी की वर्णमाला में 11 स्वर व 33 समस्वर हैं।
- हिन्दी की देवनागरी लिपि को प्राचीन ब्राह्मी से लिया गया है
- हिन्दी की ढेरों बोलियाँ है जिसमें निमाड़ी, बुंदेलखंडी, खड़ीबोली आदि शामिल है।
- 80 हिन्दी स्कूल अमेरिका मे और 95 हिन्दी स्कूल कनाडा में हैं ।
- 24 विश्वविद्यालय मौरीशस में हैं ।
- लगभग ९५ हिन्दी शिक्षण संस्थायें औस्ट्रेलिया मे हैं ।
- वर्तमान में हिन्दी साउथ एशिया (भारत, पाकिस्तान, नेपाल व भूटान), साउथ अफ्रीका, मॉरीशस, यूएसए, कनाडा, फिजी, युगांडा, गुएना, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, न्यूजीलेंड, सिंगापुर जैसे देशों में भी व्यापक स्तर पर बोली जा रही है।

आओ हम सब अपनी हिन्दी का मान बढायें ।
इस हिन्दी रूपी सूत्र में बंध कर एक हो जायें ।
और अपनी हिन्दी को विश्व मंच पर सम्मान दिलायें ।

आज सिर्फ हम कह रहे हैं, पर हम प्रयास करेंगे तो एक दिन पूरी दुनिया कहेगी जो बात हिन्दी में है, वो किसी और में नहीं ।

शनिवार, 8 जून 2013

मोदी कि ग्रह दशा और प्रधानमन्त्री का पद,,शुक्र, सूर्य एवं शनि ग्रहों के योगो मे कमी है फिर भी ग्रहो के खेल निराले है

मोदी कि ग्रह दशा और प्रधानमन्त्री का पद देश में अभी तक मंगल, शुक्र, सूर्य एवं शनि ग्रहों वाले व्यक्ति ही प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए हैं। 
इनमें से मंगल एवं शुक्र राशि का वर्चस्व प्रधानमंत्री के लिए अधिक रहा है। ग्रहों के मान से सन् 1947 से 2012 वर्तमान समय तक भारत में चैदह प्रधानमंत्री हुए है। इनमें ग्रहों का प्रभाव इस प्रकार रहा है। मंगल ग्रह -सर्वश्री लालबहादूर शास्त्री , चरणसिंह , चंद्रशेखर , अटलबिहारी वाजपेयी , (4) शुक्र ग्रह - श्रीमती इंदिरा गांधी , राजीव गंाधी , विश्वनाथप्रतापसिंह , इंद्रकुमार गुजराल (4) शनि ग्रह - श्री जवाहरलाल नेहरू, गुलजारीलाल नंदा (2) सूर्य ग्रह - श्री मोरारजी देसाई , मनमोहनसिंह (2) बुध ग्रह - पी.वी. नरसिंहराव
नरेन्द्र मोदी के शुक्र, सूर्य एवं शनि ग्रहों के योगो मे कमी है फिर भी ग्रहो के खेल निराले है


श्री मोदी को उस समय भाग्य भाव की राशि कर्क के स्वामी चंद्र में राहू में केतू की दशांतर रहेगी। तुला राशि में राहू और शनि द्वादश भाव में गोचर करेगें। द्वितीय एवं पंचम भाव की राशि का स्वामी गुरु मारक स्थान सप्तम भाव में, दशम भाव की राशि सिंह का स्वामी सूर्य अपनी राशि से षष्टम होकर तृतीय भाव में गोचर करेगा जो मोदी को प्रधान मंत्री बनने में बाधक बन सकते हैं। वर्तमान लोकसभा की नियत अवधि पूर्ण हो जाने पर नवंबर 2014 में चुनाव होने के समय भारत की कुंडली में सूर्य में शुक्र में सूर्य की दशांतर होगी। वहीं श्री मोदी के लिए चंद्र में गुरु में चंद्र अथवा मंगल का दशांतर गोचर में रहेगा। गोचर ग्रहों के मान से सूर्य शनि एवं शुक्र वृश्चिक में, गुरु कर्क में, मंगल धनु में व राहू कन्या में, रहेगें। श्री मोदी की कुंडली के मान से लग्न में दशम भाव का स्वामी सूर्य, तृतीय भाव एवं चतुर्थ भाव के स्वामी शनि एवं सप्तम व द्वादश भाव के स्वामी शुक्र की युति रहेगी। लग्न तथा षष्टम भाव का स्वामी मंगल अपनी राशि से द्वितीय एवं नवम होकर द्वितीय भाव में गोचर। गुरु उच्च का होकर भाग्य भाव में होगा। उस वक्त श्री मोदी को लग्न, पंचम एवं भाग्य भाव की दंशातर रहेगी और भारत के मान से तृतीय भाव में कर्क राशि में गुरु की भाग्य भाव पर पूर्ण दृष्टि होगी। सूर्य, शनि, शुक्र की सप्तम भाव में युति होगी तथा उस समय भारत की सूर्य एवं शुक्र की दंशातर होगी।
मोदी के लिए बाधक ग्रह, भाग्य भाव की राशि कर्क का स्वामी चंद्रमा होता है जो लग्न में नीच का होकर मंगल के साथ है। मंगल एवं चंद्र की पूर्ण दृष्टि संगठन भाव सप्तम पर पूर्ण होने के कारण मोदी एवं संगठन के मध्य आपसी मतभेद उभर सकते है जिससे श्री मोदी को निपटना होगा। 
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

प्रेम विवाह, शीघ्र विवाह, प्रेम में सफलता के लिए भैरवी देवी साधना करनी चाहिए

सुंदर पति या पत्नी की प्राप्ति के लिए, प्रेम विवाह, शीघ्र विवाह, प्रेम में सफलता के लिए भैरवी देवी साधना करनी चाहिए।माता भैरवी साधना से जहां प्रेत बाधा से मुक्ति प्राप्ति होती है, वही शारीरिक दुर्बलता भी समाप्त होती है, असाध्य और दुष्कर से दुष्कर कार्य भी पूर्ण हो जाते है। 
मंत्र-ऊँ ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहाः देवी धूमावती महाविद्या हर प्रकार की दरिद्रता के नाश के लिए, तंत्र-मंत्र के लिए, जादू-टोना, बुरी नजर और भूत-प्रेत आदि समस्त भयों से मुक्ति के लिए, सभी रोगों के लिए, अभय प्राप्ति के लिए, साधना में रक्षा के लिए, जीवन में आने वाले हर प्रकार के दुःखों का निदान करने वाली देवी है। 
आये दिन और नित्य प्रति ही यदि कोई रोग लगा रहता हो या शारीरिक अस्वस्थता निरंतर बनी ही रहती हो, तो वह भी दूर होने लग जाती है। उसकी आखों में प्रबल तेज व्याप्त हो जाता है,

जय जय भैरवी असुर-भयाउनी
पशुपति- भामिनी माया
सहज सुमति बर दिय हे गोसाउनी
अनुगति गति तुअ पाया। ।
बासर रैन सबासन सोभित
चरन चंद्रमनि चूडा।
कतओक दैत्य मारि मुँह मेलल,
कतौउ उगलि केलि कूडा । ।
सामर बरन, नयन अनुरंजित,
जलद जोग फुल कोका।
कट कट विकट ओठ पुट पाँडरि
लिधुर- फेन उठी फोका। ।
घन घन घनन घुघुरू कत बाजय,
हन हन कर तुअ काता।
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक,
पुत्र बिसरू जुनि माता। ।
इन पंक्तियों में माँ के भैरवी रूप का वर्णन किया है।

बुधवार, 5 जून 2013

8 जून 2013 को देव पितृकार्य अमावस्या, बड़ पूजन अमावस्या, भावुका अमावस्या, शनि जयंती, संत झानेश्वर जयंती,


8  जून 2013 को देव पितृकार्य अमावस्या, बड़ पूजन अमावस्या, भावुका अमावस्या, शनि जयंती, संत झानेश्वर जयंती, रोहिणी व्रत ( जैन ), वट सावित्री व्रत है इस दिन के पंचाग निम्नवत है और अमावस्या के साथ जयंती भी है 
ज्येष्ठ मास, कृष्ण पक्ष, तिथि   अमावस्या  , वार   शनिवार  ,  विक्रम संवत् 2070
पराभव नाम संवत्सर , शक संवत् 1935 / सूर्य उत्तरायण , ग्रीष्म ऋतु,
अंग्रेजी दिनांक  --  8  जून मास , ईस्वी सन् 2013 पंचाग - तिथि-  अमावस्या रात्रि  9.27  तक, तदुपरान्त  प्रतिपदा 
नक्षत्र-   रोहिणी   रत्रि  8.10  तक, तदुपरान्त   मृगशिरा  /योग-   धृति    सायं  7.04  तक, तदुपरान्त   शूल 
ग्रहों का गोचर भ्रमण- सूर्य- वृष राशि मे /मंगल - वृष राशि मे / बुध- मिथुन राशि मे /गुरु- मिथुन राशि मे /शुक्र- मिथुनराशि मे /शनि-तुला राशि मे / राहु-तुला राशि मे/ केतु-मेष राशि मे /चंद्र- वृष राशि मे श्रेष्ठ चैघडि़ये - शुभ का 7.18 से 9.01 तक /चर, लाभ, अमृत का 12.25 से 5.32 तक / राहु काल वेला - दिन 9.00 से 10.30 तक  शनि अमावस्या शुभ हो
8-6-2013 को शनि अमावस्या है क्यों न शनिदेव से अपने बुरे कर्मों के लिए माफ़ी मांग लें शनि मंत्र व स्तोत्र सर्वबाधा निवारक वैदिक गायत्री मंत्र 'ॐ भगभवाय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नो शनि: प्रचोदयात्।' प्रतिदिन श्रध्दानुसार शनि गायत्री का जाप करने से घर में सदैव मंगलमय वातावरण बना रहता है। वैदिक शनि मंत्र ॐ शन्नोदेवीरमिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्रवन्तुन:। शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे पवित्र और अनुकूल मंत्र है इसकी दो माला सुबह शाम करने से शनिदेव की भक्ति व प्रीति मिलती है।
कष्ट निवारण शनि मंत्र नीलाम्बर: शूलधर: किरीटी गृघ्रस्थितस्त्रसकरो धनुष्मान्। चर्तुभुज: सूर्यसुत: प्रशान्त: सदाऽस्तुं मह्यं वरंदोऽल्पगामी॥ इस मंत्र से अनावश्यक समस्याओं से छुटकारा मिलता है। प्रतिदिन एक माला सुबह शाम करने से शत्रु चाह कर भी नुकसान नहीं पहुंचा पायेगा। सुख-समृध्दि दायक शनि मंत्र कोणस्थ:पिंगलो वभ्रु: कृष्णौ रौद्रान्त को यम:। सौरि: शनैश्चरौ मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:॥ इस शनि स्तुति को प्रात:काल पाठ करने से शनिजनित कष्ट नहीं व्यापते और सारा दिन सुख पूर्वक बीतता है। 
शनि पत्नी नाम स्तुति ॐ शं शनैश्चराय नम: ध्वजनि धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया। कंटकी कलही चाऽथ तुरंगी महिषी अजा॥ ॐ शं शनैश्चराय नम: यह बहुत ही अद्भुत और रहस्यमय स्तुति है यदि आपको कारोबारी, पारिवारिक या शारीरिक समस्या हो। इस मंत्र का विधिविधान से जाप और अनुष्ठान किया जाये तो कष्ट आपसे कोसों दूर रहेंगे।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

मंगलवार, 4 जून 2013

भृगु ज्योतिष श्री यन्त्र ,व्यापरवृद्धि यन्त्र

भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र द्वारा श्री यन्त्र ,व्यापरवृद्धि यन्त्र , सुखसमृद्धि यन्त्र, रोगनिवारन यन्त्र नजरसुरक्षा यन्त्र एवं सभी प्रकार के यन्त्र आपके नाम एवं गौत्र के उच्चारण्‍ा के साथ मंत्रो के उच्चारण्ण के साथ तैयार किये जाते है अगर आप इच्छूक है तो सम्पर्क कर सकते है। अगर आप चाहे तो फोन न० 9359109683 पर बात कर सकते है।!

आपकी समस्याओ का उचित समाधान

भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट में हमारे यहाँ ज्योतिष शास्त्र द्वारा आपकी समस्याओ का उचित समाधान अनुभवी सुयोग्य ब्राह्मणों द्वारा किया जाता है एवं कमप्यूटराइज एवं हस्त लिखित जन्म पत्री भी तैयार कि जाती है 
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शनिवार, 1 जून 2013

शनि का लाभ उठाये 9 जुलाई 2013 तक इस समय शनि वर्की है


शनि का लाभ उठाये 9 जुलाई 2013 तक इस समय शनि वर्की है
25 फरवरी 2013 की दोपहर से शनि वक्री हो गयें है और 9 जुलाई 2013 को सुबह के बाद फिर से मार्गी होगे। यहां वक्री होने का अर्थ है वर्तमान में अपनी शनि उलटी चाल से चलरहें है और मार्गी होने का अर्थ है सीधी चाल चलना। शनि ने वक्री होकर राशि नहीं बदली है। वह तुला राशि में ही है लेकिन चाल बदलने से कई राशियों पर इसका विपरित प्रभाव भी पड रहा है 9 जुलाई 2013 तक लगभग 135 दिनों तक शनि वक्री

शनि की यह उलटी चाल मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, कुंभ एवं मीन का विशेष असर डालेगी। इनमें से कर्क एवं मीन में शनि का ढय्या चल रहा है एवं कन्या, तुला एवं वृश्चिक मे साढ़ेसाती चल रही है। मिथुन एवं कुंभ राशि से ढय्या कुछ समय पूर्व ही समाप्त हुई है एवं  सिंह, से साढ़ेसाती उतरी थी लेकिन शनि के वक्री होने से एक बार फिर ये राशियां शनि के प्रभाव में आएंगी।
मेष- इस समय शनि की पूर्ण दृष्टि आपकी राशि पर बनी हुई है। वक्री होने के बाद भी आपको सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए। किसी से व्यर्थ विवाद न करें, किसी को सताए नहीं। हनुमानजी का ध्यान और पूजन करें।
वृषभ- इस राशि के लोग वर्तमान में शनि के बुरे प्रभाव से आजाद हैं। आप अपने कार्यों को आगे बढाएं, लाभ प्राप्ति के योग बनेंगे। चिंता मुक्ति रहेंगे। लाभ होने के योग बन रहे हैं। 
मिथुन- मिथुन राशि के लोगों को शनि के वक्री होने पर थोडा फर्क अवश्य पड़ेगा। शनिवार के दिन शनि के निमित्त तेल का दान करें।
कर्क- शनि के वक्री होने पर आपका तनाव कम होगा एवं राहत महसूस करेंगे। छोटे-बड़े कार्यों में आ रही परेशानियां समाप्त हो जाएंगी। हनुमानजी को सिंदूर और तेल अर्पित करें।
सिंह- आपके लिए शनि का वक्री होना लाभकारी होगा। शनि के कारण समाज में आपके मान-सम्मान की भी वृद्धि होगी। किसी विशेष कार्य के होने से प्रसन्नता बनी रहेगी।
कन्या- कन्या राशि के लोगों के लिए वक्री शनि आपको कोई खास प्रभाव नहीं दिखाएगा तो इसमें कुछ परेशानियां होने की संभावनाएं हैं। शनिदेव के निमित्त पूजन करें।
तुला- इस राशि में अभी शनि स्थित है और वक्री होने पर भी तुला राशि में ही रहेगा। अच्छे से चल रहे कार्यों में भी व्यवधान उत्पन्न होंगे। नए निवेश से बचने का प्रयास करें एवं यह स्वास्थ्य सुधारने की ओर ध्यान दें।
वृश्चिक- जिन लोगों की राशि है वृश्चिक है वे लोग वक्री शनि से सहयोग प्राप्त करेंगे। शनि के कारण इनके कार्यों में आ रही परेशानियां दूर हो जाएंगी। कार्यों की बाधाएं दूर होने से धन लाभ होगा। 
धनु- धनु राशि के लोगों पर वक्री शनि का प्रभाव अधिक नहीं रहेगा। इन लोगों का जीवन पहले की ही तरह चलता रहेगा। शनि के वक्री होने से धन की आवक भी समान रहेगी। 
मकर- मकर राशि के स्वामी हैं शनिदेव। अत: शनि का वक्री होना भी आपके लिए लाभदायक होगा। जो लोग व्यवसाय करते हैं सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
कुंभ- 25 फरवरी से शनि के वक्री होने के बाद आपको कुछ चिंता का सामना करना पड़ता है। किसी भी प्रकार के विवादों से बचें।
मीन- मीन राशि के लिए वक्री शनि शनि राहत प्रदान करेगा। पिछले समय से चल रही समस्याओं का अंत होगा। नए लाभ के अवसर आएंगे। जो लोग उद्योग संचालित करते हैं 
- कम से कम 9 शनिवार गरीबों को भोजन कराएं, भोजन में शनिदेव के प्रिय भोज्य सामग्री रखें।
- प्रति शनिवार शनि के निमित्त व्रत-उपवास करें।
- प्रति शनिवार शनि देव के लिए विशेष पूजा-अर्चना अवश्य कराएं।
- शुभ मुहूर्त देखकर शनि कवच धारण करें।
- सात मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
- प्रति शनिवार आपके खाने तिल से बनी सामग्री अवश्य खाएं।
शनि मंत्र व स्तोत्र सर्वबाधा निवारक वैदिक गायत्री मंत्र 'ॐ भगभवाय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नो शनि: प्रचोदयात्।' प्रतिदिन श्रध्दानुसार शनि गायत्री का जाप करने से घर में सदैव मंगलमय वातावरण बना रहता है। वैदिक शनि मंत्र ॐ शन्नोदेवीरमिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्रवन्तुन:। शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे पवित्र और अनुकूल मंत्र है इसकी दो माला सुबह शाम करने से शनिदेव की भक्ति व प्रीति मिलती है।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683