रविवार, 30 जून 2013

आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि की महिमा

आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का समय शाक्य एवं शैव धर्मावलंबियों के लिए पैशाचिक, वामाचारी क्रियाओं के लिए अधिक शुभ एवं उपयुक्त होता है।

 इसमें प्रलय एवं संहार के देवता महाकाल एवं महाकाली की पूजा की जाती है। लंकापति रावन का पुत्र मेघनाद अतुलनीय शक्तियां प्राप्त करना चाहता था ताकि कोई उसे जीत ना सके….तो मेघनाद ने अपने गुरु शुक्राचार्य से परामश किया तो शुक्राचार्य ने गुप्त नवरात्रों में अपनी कुल देवी निकुम्बाला कि साधना करने को कहा,मेघनाद ने ऐसा ही किया और शक्तियां हासिल की,राम राबण युद्ध के समय केवल मेघनाद ने ही राम भगवान् सहित लक्षण जी को नागपाश मेमन बाँध कर मृत्यु के द्वार तक पअहुंचा दिया था,ये भी कहा जाता है की यदि नास्तिक की परिहास्वश इन समय मंत्र साधना कर ले तो भी उसे फल मिल ही जाता है,यही इस गुप्त नवरात्र की महिमा है,
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