गुरुवार, 10 अक्तूबर 2013

13 अक्तूबर 2013 को नवमी की शाम को ही विजयदशमी का पर्व मनाया जाना चाहिये।

नवमी की शाम को ही विजयदशमी का पर्व मनाया जाना चाहिये।
इस वर्ष कई तिथियों में मतभेद रहे हैं। नवरात्र भी नौ हैं, लेकिन पहले नवरात्र से विजयदशमी तक के 10 दिन इस बार नहीं हैं। इस वर्ष नवमी को ही विजयदशमी मनाई जाएगी। दशहरे के दिन को साल के तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में शामिल किया जाता है. दशहरे के अलावा अन्य दो शुभ तिथियां चैत्र शुक्ल व कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा भी अन्य वर्ष की शुभ तिथियों में आती है. इस तिथि को सभी कार्यो के लिये शुभ माना जाता है.इस वर्ष 2013 में  नवमी की शाम को ही विजयदशमी का पर्व  मनाया जाना चाहिये।



मार्तंड पंचांग के अनुसार इस बार नवरात्र का शुभारंभ 5 अक्तूबर 2013 को होगा। प्रतिदिन 1 नवरात्र मनाया जाएगा। 12 अक्तूबर 2013 को नवरात्र का आठवां दिन होगा और उसी दिन दुर्गाष्टमी भी पड़ेगी।
दुर्गाष्टमी को अष्टमी तिथि सायं 6.26 बजे तक रहेगी। उसके बाद नवमी तिथि आ जाएगी। जो लोग इस नवरात्र में भी रामनवमी मनाते हैं, उन्हें दुर्गाष्टमी के दिन ही नवमी का पर्व मनाना चाहिये।
नवमी तिथि रविवार 13 अक्तूबर 2013 को दोपहर बाद 1.18 बजे तक रहेगी। इसके बाद दशमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। उसी शाम 13 अक्तूबर 2013 को रावण आदि के पुतलों का दहन होता है।  नवरात्र की नवमी 13 अक्तूबर 2013 को सवेरे मनाई जाएगी।
नवमी की शाम को ही विजयदशमी का पर्व  मनाया जाना चाहिये।  दशमी तिथि सोमवार 14 अक्टूबर 2013 को भी पूर्वान्ह 11.16 बजे तक विद्यमान है परन्तु उसी दिन शाम 4.26 बजे पंचक प्रारम्भ हो रहे हैं। रावण आदि के पुतलों का दहन पंचकों में वर्जित माना गया है, अत: नवमी की शाम को ही विजयदशमी का पर्व मना लिया जाना उत्तम होगा।

इस सप्ताह शनिवार, 12 अक्टूबर 2013 की बहुत चमत्कारी फल देने वाली है। शनिवार की शाम और रात नवरात्रि की अष्टमी व नवमी की शाम होगी। इस समय तुला राशि में स्थित शनि उच्च का है एवं साथ में राहु एवं बुध भी है। अत: नवरात्रि में शनि, राहु और बुध के प्रभाव से यह शनिवार बेहद खास बन रहा है। यह ग्रह स्थिति और यह योग करीब डेढ़ सौ साल बाद बन रहा है।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र मौबाईल नम्बर 09359109683


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